भारत-चीन सीमा विवाद: भारतीय सेना का बयान- डिसइंगेजमेंट एक जटिल प्रक्रिया, इसका लगातार वेरिफिकेशन जरूरी
भारतीय सेना ने यह बयान भारत और चीन के बीच मंगलवार को हुई कोर कमांडकर स्तर की बैठक के बाद दिया है. यह बैठक करीब 15 तक चली थी.
नई दिल्ली: भारत और चीन के कोर कमांडर स्तर की मंगलवार को 15 घंटे लंबी चली बातचीत के बाद गुरूवार को भारतीय सेना ने अपना बयान जारी किया. बयान में कहा गया है कि दोनों ही देश एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए प्रतिबद्ध जरूर हैं लेकिन ये एक 'जटिल' प्रक्रिया है और इसकी 'वेरिफिकेशन' लगातार जरूरी है.
भारतीय सेना के प्रवक्ता, कर्नल अमन आनंद ने बयान जारी कर कहा कि, "दोनों पक्ष (भारत और चीन) पूरी तरह से डिसइंगेजमेंट के लिए प्रतिबद्ध हैं...लेकिन, यह प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए निरंतर वेरिफिकेशन (सत्यापन) की आवश्यकता है. ऐसे में इस प्रक्रिया को राजनयिक और सैन्य स्तर पर नियमित बैठकों के माध्यम से आगे ले जा रहे हैं."
कर्नल अमन आनंद के मुताबिक, 5 जुलाई को दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि पूर्ण डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए थे और मंगलवार की मीटिंग उसी के अनुरूप ही आयोजित की गई थी. यही वजह है कि दोनों देशों के कोर कमांडर ने प्रथम चरण की डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया की समीक्षा की और पूर्ण डिसइंगेजमेंट के लिए कुछ जरूरी कदम उठाने पर चर्चा की.
मंगलवार की हुई बैठक 15 घंटे तक चली आपक बता दें कि मंगलवार को दोनों देशों के कोर कमांडर्स ने एलएसी पर चुशूल में करीब 15 घंटे लंबी बैठक की थी. इस बैठक में गलवान घाटी, गोगरा और हॉट-स्प्रिंग जैसे विवादित इलाकों में डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी होने की समीक्षा की गई थी. इन तीनों इलाकों में दोनों देशों के सैनिक डेढ़ से दो किलोमीटर तक पीछे हट गए हैं. जिससे वहां बफर जोन बन गए हैं. साथ ही दोनों देशों ने यहां पर अपने सैनिकों की संख्या भी कम कर दी है.
हालांकि सूत्रों की मानें तो फिंगर एरिया को लेकर मामला फंस रहा है. क्योंकि डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के तहत चीनी सेना को फिंगर एरिया से पूरी तरह पीछे हटना होगा. क्योंकि तभी फिंगर एरिया में स्टेट्स कयो यानि अप्रैल महीने की स्थिति को कायम किया जा सकता है. मई महीने के शुरूआत में ही चीनी सेना ने फिंगर 8 से लेकर फिंगर 4 तक पर अपने सैनिकों की तैनाती की थी और बंकर सहित बैरक बना लिए थे. इससे पहले तक चीनी सेना का कैंप फिंगर 8 के पीछे सिरेजैप और खुरनाक फोर्ट में था. चीन अब फिंगर 8-4 तक अपनी सेना को हटाने के लिए तो तैयार है लेकिन कुछ सैनिकों को इस एरिया में हमेशा के लिए तैनात करना चाहता है.
इसके अलावा दौलत बेग ओल्डी के करीब डेपसांग प्लेन को लेकर भी अभी दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं जहां चीनी सेना ने अपने सैनिकों, टैंक और तोपों का बड़ा जमावड़ा किया हुआ है.
सेना प्रमुख ने सीएसजी को सारी स्थिति की जानकारी दी इस बावत बुधवार को थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे ने वरिष्ठ सैन्य कमांडर्स से तो 'आतंरिक बातचीत' की ही साथ ही लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी से जुड़े सभी मुद्दों पर बने चायना स्टडी ग्रुप (सीएसजी) को भी सारी स्थिति से अवगत कराया था.
इस ग्रुप का प्रतिनिधित्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (अजीत डोवाल) करते हैं और कैबिनट सेक्रेटरी, रक्षा सचिव, गृह सचिव, आईबी चीफ इसके सदस्य हैं. वरिष्ठ सैन्य अधिकारी भी इसका हिस्सा हैं. ये ग्रुप एलएसी से जुड़े मुद्दों पर सरकार के 'एडवायजर' के तौर पर काम करता है. इसके बाद ही गुरूवार को सेना ने चौथे दौर के कमांडर स्तर की बैठक पर आधिकारिक बयान जारी किया.
माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में एलएसी के हालात को पूरी तरह सामान्य बनाने के लिए कुछ और सैन्य और राजनियक स्तर पर बातचीत होंगी.
यह भी पढ़ें: