नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा विवाद के बीच केंद्र सरकार ने सेना की ताकत तत्काल बढ़ाने का फैसला किया है. सरकार ने हथियार और गोला बारूद खरीदने के लिए सेना के तीनों अंगों को 500 करोड़ रुपये तक की प्रति खरीद परियोजना की आपात वित्तीय शक्तियां दी हैं. सेना के तीनों अंगों में थल सेना, वायुसेना और नौसेना आते हैं.
सरकार ने एक ही विक्रेता से जरूरी हथियार और उपकरणों की खरीद करने जैसी विशेष छूट देकर सैन्य खरीद में देरी में भी कटौती की है. विशेष वित्तीय शक्तियां बलों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने अभियान तैयारियों को बढ़ाने के लिए बहुत कम समय में हथियारों खरीद के लिए दी गई है.
चीन को जवाब देने के लिए सेना को खुली छूट
इससे पहले सरकार भारतीय सैनिकों को एलएसी पर चीन की किसी भी करतूत से निपटने के लिए फायरिंग की खुली छूट दे चुकी है. अब सेना को एलएसी पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए हथियार चलाने और गोलाबारी तक करने की छूट है. यानि सैनिक अब चीन के साथ सीमा को लेकर हुई संधियों से बंधे नहीं हैं.
हालांकि ये तो साफ नहीं किया गया है कि क्या चीन के साथ हुई संधियों को तोड़ दिया गया है, लेकिन इतना जरूर कहा कि गलवान घाटी में जो हिंसक संघर्ष हुई उसमें क्या चीन ने किसी संधि को माना है? ऐसे में भारतीय सेना को किसी भी तरह के जवाबी कार्रवाई करने की पूरी इजाजत दी गई है.
भारत-चीन विवाद के जल्द खत्म होने की संभावना कम
15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इससे दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. फिर से टकराव होने की आशंका के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने थल सेना, वायुसेना और नौसेना को पहले ही यह निर्देश दिया है कि वे एलएसी पर अपनी अभियान तैयारियों को बढ़ाएं. थल सेना आपात वित्तीय शक्तियों का उपयोग अपने गोला बारूद भंडार को बढ़ाने में करने जा रही है क्योंकि विवाद के जल्द खत्म होने की बहुत कम संभावना है.
गलवान घाटी में हुई झड़प पिछले 45 सालों में दोनों पक्षों के बीच हुआ सबसे बड़ा टकराव है. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने अब तक यह नहीं बताया है कि उसके कितने सैनिक मारे गए हैं.
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