India-China Face-Off: अजमेर के सूफी संत हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख व वंशानुगत सज्जादानशीन दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने मंगलवार (13 दिसंबर) को कहा कि यह ज़रूरी है की भारत चीन को भी बालाकोट जैसा सबक सिखाए. उन्होंने कहा, ‘‘चीन आए दिन भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करता रहता है. भारतीय सैनिकों से झड़प की खबरें आती रहती है. हमें गर्व है की हमारी सेना के शूरवीर उसे कामयाब नहीं होने देते। चीन की रोज़-रोज़ की इस नापाक हरकत पर विराम लगाने के लिए यह जरूरी है की भारत चीन को भी बालाकोट जैसा सबक सिखाए.’’


दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख ने कहा कि भारत हमेशा अपने पड़ोसी देशों के साथ शांति और मधुर संबंध पर जोर देता रहा है लेकिन पड़ोसी देश भारत के इस व्यवहार को कमजोरी ना समझे. एक बयान में उन्होंने कहा, ‘‘आज चीन हो या कोई भी देश, भारत अपनी सीमाओं की रक्षा करने में किसी भी हद तक जा सकता है. जिस की जीती-जागती मिसाल दुनिया के सामने बालाकोट है. चीन को अपनी नापाक हरकतों से बाज आना ही होगा नहीं तो वह यह ध्यान रखे की यह नया भारत है.’’


राजनाथ सिंह ने संसद में दिया बयान


दरअसल, तवांग में 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास झड़प हुई. इस झड़प में "दोनों पक्षों के कुछ जवान मामूली रूप से घायल हो गए." इस मामले पर मंगलवार देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में बयान देते हुए कहा कि, "इस फेस-ऑफ में हाथापाई हुई और भारतीय सेना ने बहादुरी से PLA को हमारे क्षेत्र में अतिक्रमण करने से रोका और उन्हें उनकी पोस्ट पर वापस जाने के लिए मजबूर कर दिया. इस झड़प में दोनों ओर के कुछ सैनिकों को चोटें आईं."


राजनाथ सिंह के दिए बयान पर विपक्ष संतुष्ट नहीं दिखा और कांग्रेस, टीएमसी समेत अन्य दलों ने सदन से वॉकआउट किया. वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजनाथ के बयान को खानापूर्ती बताया. 


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