LAC Row: भारत और चीन के सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग इलाके में झड़प का मामला सामने आया है. सूत्रों के मुताबिक, बीते 9 दिसंबर को भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई थी. इस झड़प में दोनों पक्षों के जवान मामूली रूप से घायल हुए हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, तवांग के याग्त्से एरिया में चीनी सैनिक भारतीय सेना की चौकी को हटाना चाहते थे, लेकिन भारतीय सैनिकों ने करारा जवाब देते हुए उन्हें खदेड़ दिया। 


इस मुद्दे को विपक्ष मुद्दा बना कर केंद्र की योगी सरकार को घर रहा है. भारत और चीन के बीच हुई झड़प के बाद विपक्ष के तमाम नेता अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं. इसी कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट करते हुए कहा कि फिर से हमारे भारतीय सेना के जवानों को चीनियों ने भड़काया है. हमारे जवानों ने डटकर मुकाबला किया और उनमें से कुछ घायल भी हुए हैं.


देश को भरोसे में लेने की जरूरत: खरगे


उन्होंने अपनी ट्वीट में आगे लिखा कि हम राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर देश के साथ हैं और इसका राजनीतिकरण नहीं करना चाहेंगे. लेकिन मोदी सरकार अप्रैल 2020 से एलएसी के पास सभी बिंदुओं पर चीनी अतिक्रमण और निर्माण के बारे में ईमानदार होना चाहिए. सरकार को संसद में इस मुद्दे पर चर्चा करके देश को भरोसे में लेने की जरूरत है. हम अपने सैनिकों के शौर्य और बलिदान के सदैव ऋणी रहेंगे.


ढुलमुल रवैया छोड़े सरकार: कांग्रेस 


इससे पहले कांग्रेस ने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबर है. वक्त आ गया है कि सरकार ढुलमुल रवैया छोड़कर सख्त लहजे में चीन को समझाए कि उसकी यह हरकत बर्दाश्त नहीं की जाएगी.


ओवैसी ने भी साधा निशाना 


एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले को लेकर एक के बाद एक कई ट्वीट किए. अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा कि सेना किसी भी वक्त चीन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है. पीएम मोदी के नेतृत्व में कमजोर राजनीतिक नेतृत्व ही चीन के खिलाफ इस अपमान का कारण बना है. संसद में इस पर तत्काल चर्चा की जरूरत है. मैं कल इस मुद्दे पर स्थगन प्रस्ताव पेश करूंगा.'


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