भारत-चीन विदेश मंत्रियों की मुलाकात और बात तो हुई, मगर नतीजे पर नहीं बनी बात
बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुए विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने कहा कि चीनी कार्रवाई के कारण भारत और चीन के रिश्ते खराब हुए हैं. चीन के साथ मौजूदा रिश्तों को सामान्य कतई नहीं कहा जा सकता है.
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों की दिल्ली में हुई मुलाकात बेमन और बेनतीजा रही. दोनों नेता मिले तो जरूर, लेकिन बीते दो साल से जारी सीमा तनाव सुलझाने का ना तो कोई फार्मूला निकाल पाए और ना ही इसके निपटारे की कोई समयावधि तय कर सके. हालांकि, भारत ने यह जरूर साफ कर दिया कि सीमा पर अप्रैल 2020 से बरकरार चीनी सैनिक जमावड़े और टकराव को सामान्य नहीं माना जा सकता है और स्वीकार भी नहीं किया जा सकता है.
सरहद पर शांति व स्थायित्व हो- विदेश मंत्री
बैठक के बाद मीडिया से रूबरू हुए विदेश मंत्री डॉ जयशंकर ने कहा कि चीनी कार्रवाई के कारण भारत और चीन के रिश्ते खराब हुए हैं. चीन के साथ मौजूदा रिश्तों को सामान्य कतई नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि रिश्तों को सामान्य बनाने और बेहतरी के लिए जरूरी है कि सरहद पर शांति व स्थायित्व हो.
वांग यी इस्लामाबाद, काबुल के बाद दिल्ली पहुंचे थे
बीती रात भारत पहुंचे चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार सुबह भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल से भी मुलाकात की. वहीं, बाद में विदेश मंत्री जयशंकर से बातचीत के लिए दिल्ली के हैदराबाद हाउस पहुंचे. दक्षिण एशिया के दौरा पर निकले वांग यी इस्लामाबाद, काबुल के बाद दिल्ली पहुंचे थे. वहीं, शुक्रवार शाम ही काठमांडू पहुंच गए.
बातचीत में बनी सहमतियों को लागू करने में रफ्तार धीमी- विदेश मंत्री
भारत और चीन के बीच अब तक 15 दौर की सैन्य कमांडर स्तर की बातचीत हो चुकी है. साथ ही सीमा तनाव सुलझाने के लिए बने डब्ल्यूएमसीसी के राजनयिक तंत्र की बैठक हो चुकी है. विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि बातचीत का फोकस इस बात पर था कि राजनैतिक स्तर पर बनी सहमति को जल्द से जल्द जमीन पर लागू किया जाए. इसके लिए अधिक उपाय किए जाएं, क्योंकि बातचीत में बनी सहमतियों को लागू करने में रफ्तार धीमी है, जिसके कारण अपेक्षित परिणाम हासिल नहीं हो पा रहे हैं.
जम्मू-कश्मीर पर की गई टिप्पणियों का मुद्दा उठा
बातचीत की मेज पर चीन के विदेश मंत्री वांग यी की तरफ से दो दिन पहले पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में एससीओ बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर पर की गई टिप्पणियों का मुद्दा उठा. विदेश मंत्री जयशंकर ने बताया कि उन्होंने चीनी विदेश मंत्री से बातचीत में भारत की भावनाओं को खुलकर जताते हुए उन्हें बता दिया कि आखिर क्यों उनका बयान आपत्तिजनक है. ध्यान रहे कि भारत ने इस्लामिक देशों की बैठक के दौरान जम्मू-कश्मीर से लेकर टिप्पणी की थी, जिसे भारत ने न केवल सिरे से खारिज किया था, बल्कि याद भी दिलाया था कि वो चीन के अंदरूनी मामलों पर बयानबाजी नहीं करता है.
चीन में पढ़ाई कर रहे छात्रों का मुद्दा उठाया गया
विदेश मंत्री जयशंकर ने भारत के उन छात्रों का विषय भी सामने रखा जो चीन के विश्वविद्यालयों में पढ़ाई कर रहे थे और अब कोविड संकट के कारण उन्हें लौटने नहीं दिया जा रहा है. भारत ने कहा कि इन छात्रों के साथ भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए. गौरतलब है कि चीन के उच्च शिक्षा संस्थानों में पढ़ने वाले करीब 23 हजार से ज्यादा छात्र वापस क्लासरूम में लौटने का इंतजार कर रहे हैं. उन्हें कोरोना पाबंदियों का कारण बताते हुए लौटने की इजाजत नहीं दी जा रही है.
मुलाकात में ब्रिक्स बैठकों का मुद्दा भी उठा
विदेश मंत्री वांग यी की यात्रा की एक वजह चीन की अगुवाई में होने वाली ब्रिक्स शिखर बैठक के लिए भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति का आग्रह भी था. विदेश मंत्री जयशंकर ने भी माना कि विदेश मंत्री वांग यी के साथ उनकी मुलाकात में ब्रिक्स बैठकों का मुद्दा भी उठा. हालांकि, अभी तक ना तो प्रधानमंत्री मोदी की ब्रिक्स शिखर बैठक में शिरकत के लिए चीन यात्रा का कोई प्रस्ताव है और ना ही अभी बैठक का फॉर्मेट या तारीख तय है.
भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच यूक्रेन के मुद्दे पर भी बात हुई. डॉ जयशंकर के मुताबिक, उन्होंने हालात पर भारत का पक्ष सामने रखा, तो चीन ने अपना नजरिया बताया, लेकिन दोनों इस बात पर सहमत थे कि मसले को बातचीत और कूटनीति से ही सुलझाने की जरुरत है.
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