भारत और चीन की सेनाओं के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प ने दोनों देशों के रिश्तों को बेहद तनावपूर्ण बना दिया है. इस घटना में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए हैं. वहीं दावा है कि चीन के भी 43 जवान हताहत हुए हैं. वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के बीच बीते कई सालों से सैनिकों के आमने-सामने आने की घटनाएं होती रही हैं, लेकिन कभी भी कोई बड़ी घटना नहीं हुई. दोनों देशों के बीच आखिरी बार सीमा पर खूनी वारदात 1975 में हुई थी, जिसमें 4 भारतीय जवान शहीद हो गए थे.


तुलुंग ला में चली थी आखिरी गोली


1975 में अरुणाचल प्रदेश में तुलुंग ला में आखिरी बार दोनों देशों की सीमा पर किसी भी तरह की गोलीबारी हुई थी. LAC पर ये चीन ने ये हरकत 20 अक्टूबर 1975 को की थी. तब असम राइफल्स की एक पेट्रोलिंग पार्टी LAC पर तुलुंग ला पर गश्त के लिए गई थी.


वहां पहले से चीनी सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के सैनिक घात लगाकर बैठे थे और उन्होंने भारतीय सैनिकों पर हमला कर दिया. इस गोलीबारी में भारत के 4 जवान शहीद हुए थे. चीनी सैनिक LAC पार कर भारतीय सीमा में घुसे थे. हालांकि चीन ने कभी भी इसे स्वीकार नहीं किया और दावा किया कि भारतीय जवानों ने LAC पार की थी और चीनी पोस्ट पर हमला किया था.


इस घटना के बाद से दोनों देशों के बीच सीमा पर कई बार हालात तनावपूर्ण स्थिति से गुजरे और लगा कि दोनों देश आमने-सामने आएंगे लेकिन कभी भी गोलीबारी नहीं हुई और न किसी सैनिक की मौत हुई. हालांकि अक्सर दोनों सैनिकों के बीच 3 हजार किलोमीटर से ज्यादा लंबी LAC पर छोटी-मोटी झड़प होती रही है.


1967 में चीन को दी थी मात


लद्दाख में हुए इस खूनी टकराव में भारत के 20 जवान शहीद हो गए, जबकि चीनी सेना को भी काफी नुकसान का अनुमान जताया जा रहा है. 1975 में भले ही आखिरी बार गोली चली हो, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में सैनिकों की मौत आखिरी बार 1962 के युद्ध के 5 साल बाद 1967 में हुई थी.


1967 में सिक्किम (तत्कालीन किंगडम ऑफ सिक्किम) में 5 दिन तक दोनों देशों के बीच कई बार सेनाएं टकराईं. इसे अक्सर दूसरा भारत-चीन युद्ध कहा जाता है. ये टकराव नाथु ला में हुआ था. 11 सितंबर से 15 सितंबर तक तक दोनों सेनाएं कई बार आमने-सामने हुई और जमकर गोली बारी हुई.


भारत ने तब चीन को करारा जवाब दिया था और चीनी सैनिकों को खदेड़ दिया था. 1962 में मिली हार के सिर्फ 5 साल बाद भारतीय सेना ने चीनी सेना को धूल चटा दी थी. इस टकराव में भारत के 80 से ज्यादा सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के लगभग 400 सैनिकों को भारतीय जवानों ने ढेर किया था.


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