भारत और इजरायल की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. दोनों देशों ने हर कदम पर एक दूसरे का साथ दिया है. दोनों देशों के रिश्ते रणनीतिक साझेदार पर आधारित तो हैं हि इसके साथ सैन्य सहयोग पर भी आधारित हैं. हमारा देश इजरायल से हाईटेक रक्षा सामान खरीदता है और उन टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से अपने सीमा की सुरक्षा करता है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार इन दोनों देशों के रक्षा सौदे को लेकर इजरायल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज में भारत के लिए मार्केटिंग उपाध्यक्ष, एवी ब्लेसर ने कहा कि वह भारतीय सेना और वायुसेना के साथ मिलकर भारत और इजरायल की रक्षा जरूरतों को पूरा करने का काम कर रहे हैं. वहीं भारत में रक्षा की जरूरतों को समझने और उसकी पूर्ति के लिए एवी ब्लेसर भारतीय सैनिकों के युद्ध अभ्यास में भी साथ गए थे. 


ब्लेसर रक्षा मंत्रियों से मिलें. वहीं भारत के नक्सलियों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने के लिए मानव रहित हवाई वाहनों (यूएवी) के उपयोग पर पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित किया और एक बार आंध्र प्रदेश पुलिस में भी शामिल हुए. 


गलवान की घटना के बाद तैनात किया गया हेरॉन एमके 2


साल 2020 को हुए गलवान घटना के बाद चीन-भारत सीमा पर पैनी नजर रख रहा है. 15-16 जून को लद्दाख की गलवान घाटी में एलएसी पर हुई इस झड़प में भारतीय सेना के एक कर्नल समेत 20 सैनिकों की मौत हुई थी. इस झड़प के बाद से ही भारत और चीन के बीच रिश्ते नाजुक हो गए हैं. ऐसे में भारत ने चीन सीमा पर ड्रोन ‘हेरॉन एमके’ 2 तैनात कर रखा है. 


इन ड्रोन को तिब्बत से सटी और चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तैनात किया गया है.  हेरॉन ड्रोन को ड्रोन टेक्नोलॉजी का लीडर माना जाता है. भारतीय सेना ने इसकी चार यूनिट का ऑर्डर दिया है. विशेषज्ञों की मानें तो ये ड्रोन अमेरिका के एमक्यू-9बी ड्रोन से कहीं ज्यादा बेहतर हैं. टेस्‍ट में भी हेरॉन, अमेरिकी ड्रोन से बेहतर साबित हुआ है.


हेरॉन एमके एक इजराइली ड्रोन है जो 35 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ सकता है. यह ड्रोन 1000 किलोमीटर के दायरे को कवर कर सकता है. इसके अलावा यह घने बादलों के पार भी देख सकता है. यह ड्रोन 45 घंटे तक उड़ने के साथ ही खराब मौसम में भी काम कर सकता है. बताया गया है कि इस ड्रोन को लेह में तैनात किया जा रहा है. इसके साथ ही भारतीय सेना ने पिछले साल ‘हेरॉन टीपी’ भी लीज पर लिया. यह इजरायल निर्मित विमान है जो मानवरहित है. इसके अलावा इस ड्रोन को आवश्यकता पड़ने पर हथियारों से लैश भी किया जा सकता है.


हेरॉन ड्रोन अपनी वेपन लोड करने की क्षमता के कारण यूएस मिलिट्री का पसंदीदा बना हुआ है. टारगेट की लोकेशन का पता लगाने के बाद इसका जीपीएस गाइडेड सिस्‍टम उसे सेकेंड्स में तबाह कर देता है. 


इन हथियारों को किया जा सकता है लोड


हेरॉन ड्रोन में आठ हेलफायर मिसाइल लोड किया जा सकता है. इसके अलावा इसमें दो साइडविंडर या दो AMRAAM मिसाइल, दो मेवेरिक मिसाइल लोड किया जा सकता है. इसके अलावा यह ड्रोन दो 227 किलोग्राम वाले स्‍मार्ट बम कैरी कर सकता है. हथियार लोड होने के बाद ड्रोन का वजन 2,177 किलोग्राम तक पहुंच जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो ड्रोन पाकिस्तान से सटी एलओसी या चीन से लगी एलएसी की न सिर्फ रेकी या जासूसी कर सकता है बल्कि जरूरत पड़ने पर छोटी सर्जिकल स्ट्राइक भी कर सकता है. इस ड्रोन का इस्तेमाल अमेरिकी सेना भी इस वजह से करती है. 


लगातार बढ़ रहे हैं भारत और इजराइल के रिश्ते


इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज में भारत के लिए मार्केटिंग उपाध्यक्ष, एवी ब्लेसर भारत इजरायल के रिश्ते को याद करते हुए कहा कि साल 1991 में वो पहली बार सिंगापुर में हो रहे एयर शो के दौरान एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल से मिले थे. उन्होंने कहा कि उस दौरान वह एक यूरोपीय पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे. भारतीय प्रतिनिधि मंडल ने उस वक्त उन्हें साउथ ब्लॉक में आमंत्रित किया था. 


इसके 4 साल बाद ही रक्षा मंत्रालय ने 2 ‘सर्च सिस्टम’ के लिए इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज (आईएआई) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. समय के साथ दोनों देशों के बीच रिश्ते गहरे हुए और धीरे धीरे बढ़ते चले गए. अब हाल ये है कि इजरायली तकनीक और उपकरणों के आयातक से लेकर भारतीय कंपनियां अब विभिन्न उपक्रमों पर आईएआई के साथ सहयोग कर रही हैं.


UAV के निर्माण में की भारत की मदद


हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज ने एक संयुक्त दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं. इस दस्तावेज के तहत आईएआई न सिर्फ भारत यूएवी यानी मानव रहित विमान की पेशकश करेगा. बल्कि हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड को उनके निर्माण में भी मदद करेगा. वहीं साल 2018 में अडानी ने  इजरायली कंपनी एबिल्ट सिस्टन के साथ हैदराबाद में हर्मीस 900 यूएवी निर्माण करने के लिए हाथ मिलाया था. 


इससे पहले भी यानी साल 2017 में पीएम नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा के बाद आईएआई ने भारत मे यूएवी के निर्माण के लिए एलकॉन सिस्टम और डायनामेटिक टेक्‍नोलॉजी के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. 


भारत-इजरायल दोस्ती की नींव


भारत-इजरायल दोस्ती की नींव गोल्डा मेयर ने रखी थी. वह ना सिर्फ इजरायल की पहली महिला प्रधानमंत्री रही हैं बल्कि इजरायल की पूर्व विदेश मंत्री और दुनिया की तीसरी महिला पीएम भी रह चुकी हैं. साल 1971 में चल रहे भारत पाकिस्तान जंग के दौरान  भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंध नहीं थे. उस वक्त अमेरिका पाकिस्तान का साथ दे रहा था. लेकिन इजरायल ने भारत की मदद करने का फैसला किया. 


उस वक्त इजरायल की तत्कालीन प्रधानमंत्री गोल्डा मेयर ने भारत को गुपचुप तरीके से सैन्य सहायता मुहैया कराई थी. इस मदद के करीब 20 साल बाद यानी साल 1992 में भारत की तत्कालीन नरसिम्हा राव सरकार ने इजरायल के साथ औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध स्थापित किए और जनवरी 1992 में तेल अवीव में भारत का दूतावास खुल गया.