भारत-चीन समझौते के बाद लद्दाख में 2 जगह डिसइंगेजमेंट पूराः बाकी टकराव वाली जगहों का क्या होगा?
LAC Row: भारत और चीन के रिश्ते 2020 में तब गरमा गए थे, जब गलवान घाटी में दोनों सेनाओं की गंभीर झड़प हुई थी. पूर्वी लद्दाख में उसके बाद से लगातार तनाव की स्थिति थी.
LAC Row: भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पेट्रोलिंग व्यवस्था को लेकर हुए समझौते के बाद अब दो जगह डिसइंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी हो गई है.
रक्षा सूत्रों ने मंगलवार (29 अक्टूबर, 2024) को समाचार एजेंसी 'एएनआई' को बताया, "पूर्वी लद्दाख सेक्टर के देपसांग और डेमचोक इलाकों में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है. भारत-चीन की सेनाएं एक-दूसरे की ओर से वहां पद खाली करने और बुनियादी ढांचे को हटाने का सत्यापन कर रही हैं."
वैसे, एक दिन पहले सूत्रों ने न्यूज एजेंसी 'आईएएनएस' को बताया था कि एलएसी पर भारत-चीन के बीच सैन्य वापसी की प्रक्रिया सोमवार को पूरी हुई. हालांकि, इससे पहले रक्षा मंत्रालय के बयान में बताया गया था कि इंडिया और चाइना 28-29 अक्टूबर तक एलएसी पर सैन्य वापसी की प्रक्रिया पूरी कर लेंगे.
केवल डेमचोक और देपसांग के लिए हुआ समझौता
सैन्य वापसी समझौता केवल डेमचोक और देपसांग मैदानों के लिए वैध है, जबकि बाकी जगहों के लिए यह नहीं है. रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह समझौता अन्य टकराव वाले क्षेत्रों पर लागू नहीं होगा. दोनों पक्षों के सैनिक अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति में वापस आ जाएंगे और वे उन क्षेत्रों में गश्त करेंगे जहां उन्होंने अप्रैल 2020 तक गश्त की थी.
2020 में गलवान घाटी हिंसा के बाद हुआ तनाव
दरअसल, 21 अक्टूबर को दोनों देश एलएसी पर गश्त व्यवस्था को लेकर समझौते पर पहुंचे, जिसके बाद सैनिकों की वापसी हुई और अंततः जून 2020 में गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद क्षेत्र में उत्पन्न मुद्दों का हल हो रहा है. दो दिन बाद 23 अक्टूबर, 2024 को भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि भारत-चीन सीमा पर तनाव की स्थिति को कम करने के लिए एक दूसरे के प्रति विश्वास की बहाली जरूरी है.
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