नई दिल्ली: भारत-चीन सीमा पर नौ महीने से चल रही तनातनी खत्म हो गई है. भारत की जीत हुई है और चीन को पीछे हटना पड़ा है. अब से थोड़ी देर पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में कहा है कि सीमा पर भारत और चीन दोनों तरफ की सेना अपनी पुरानी पोस्ट पर लौट रही हैं. पैंगोंग लेक से दोनों देश की सेनाएं पीछे हटेंगी. फिंगर-8 के पीछे चीन जाएगा और भारत अपने सैनिकों को फिंगर 3 के पास अपने स्थायी बेस पर रखेगा.
सीमा विवाद पर संसद में रक्षा मंत्री की बड़ी बातें
- भारत अपनी एक इंच जमीन भी किसी को लेने नहीं देगा और इसी दृढ़ संकल्प का ही नतीजा है कि हम पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ सीमा पर जारी गतिरोध के मद्देनजर समझौते की स्थिति पर पहुंचे हैं.
- चीन के साथ निरंतर वार्ता से पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण तट से सेना हटाने पर सहमति बनी है. समझौते के बाद, भारत-चीन चरणबद्ध और समन्वित तरीके से फारवर्ड पोस्ट पर तौनात सैनिकों को पीछे हटाएंगे.
- भारत ने चीन को हमेशा यह कहा है कि द्विपक्षीय संबंध दोनों पक्षों के प्रयास से ही विकसित हो सकते हैं और सीमा के प्रश्न को भी बातचीत के जरिए हल किया जा सकता है.
- चीन ने पूर्वी लद्दाख में एलएसी (वास्तवकि नियंत्रण रेखा) के पास कई स्थानों पर हथियारों और गोला-बारूद के साथ भारी सैन्य बल तैनात कर रखा है. इसके जवाब में हमारी सेना ने भी पर्याप्त और प्रभावी ढंग से तैनाती की है.
- अभी भी एलएसी पर तैनाती और निगरानी के बारे में कुछ मुद्दे बचे हैं. इन पर हमारा ध्यान आगे की बातचीत में रहेगा. दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल के तहत सैनिकों की वापसी जल्द से जल्द कर ली जाए.
- चीन ने लद्दाख के इलाके में अनाधिकृत तरीके से 1962 से कब्जा बना रहा है. पाकिस्तान ने भी चीन को हमारी जमीन दी है. चीन का अनाधिकृत तरीके से कुल 43 हजार वर्ग किलोमीटर कब्जा है. इससे चीन और भारत के संबंधों पर असर पड़ा है.
- सुरक्षा बलों ने साबित कर दिया है कि वे देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए किसी भी चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं और राष्ट्र हमेशा सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को याद रखेगा. जब राष्ट्रीय सुरक्षा की बात आती है तो देश एकजुट रहता है चाहे आप किसी भी दल से जुड़े हों.
- चीन भी देश की सम्प्रभुता की रक्षा के हमारे संकल्प से अवगत है. यह अपेक्षा है कि चीन द्वारा हमारे साथ मिलकर शेष मुद्दों को हल करने का प्रयास किया जाएगा. देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता और सुरक्षा के प्रश्न पर एक साथ खड़ा है और एक स्वर से समर्थन करता है कि यह संदेश केवल भारत की सीमा तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे जगत को जाएगा.
- सितंबर 2020 से लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर दोनों पक्षों में कई बार बातचीत हुई है कि इस डिसइंगेजमेंट का परस्पर स्वीकार्य करने का तरीका निकाला जाए. अभी तक वरिष्ठ कमांडर के स्तर पर 9 राउंड की बातचीत हो चुकी है.
- विभिन्न स्तरों पर चीन के साथ हुई वार्ता के दौरान भारत ने चीन को बताया कि वह तीन सिद्धांतों के आधार पर इस समस्या का समाधान चाहता है. पहला, दोनों पक्षों द्वारा एलएसी को माना जाए और उसका सम्मान किया जाए. दूसरा, किसी भी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने का एकतरफा प्रयास नहीं किया जाए. तीसरा, सभी समझौतों का दोनों पक्षों द्वारा पूर्ण रूप से पालन किया जाए. इस बातचीत में हमने कुछ भी खोया नहीं है.
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