भारत-चीन के बीच 14 घंटे चली कोर कमांडर स्तर की बैठक, कल नतीजा आने से पहले जानिए क्या-क्या बातचीत हुई
मीटिंग में एक लंबा वक्त बातचीत का पूरा ब्यौरा अंग्रेजी और चीनी भाषा में ट्रांसलेशन में लगा. ये अबतक की कोर कमांडर स्तर की सबसे लंबी बैठक थी.
श्रीनगर: भारत-चीन सीमा पर तनाव खत्म करने के लिए डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया के दूसरे चरण के लिए मंगलवार को कोर कमांडर लेवल की बातचीत रात दो बजे तक चली. सुबह 11 बजे एलएसी के चुशूल में शुरू हुई ये मीटिंग पूरे 14 घंटे चली. लेकिन बातचीत का नतीजा गुरुवार से पहले आने की उम्मीद नहीं है क्योंकि दोनों पक्ष अब इस मीटिंग पर 'आतंरिक चर्चा' कर रहे हैं.
भारतीय सेना के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ये एक लंबी बैठक थी जिसमें दोनों पक्षों ने अपना-अपना एजेंडा सामने रखा. ये एक बेहद ही जटिल और कठिन बातचीत थी. यही वजह है कि दोनों देशों की सेनाएं अब इस मीटिंग पर 'इंटरनल डेलेबिरेशन' यानि आतंरिक चर्चा कर रही हैं. इस आंतरिक चर्चा में लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल यानि एलएसी पर तैनात फील्ड कमांडर्स के साथ साथ सेना और सरकार के शीर्ष नेतृत्व को भी मीटिंग की जानकारी साझा की जा रही है.
सेना की ओर से जारी नहीं किया गया कोई बयान जानकारी के मुताबिक, खुद थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे साऊथ ब्लॉक में टॉप कमांडर्स से इस मीटिंग को लेकर बैठक कर रहे हैं. यही वजह है कि मीटिंग के निर्णय और फैसले को लेकर गुरुवार तक ही सेना या फिर विदेश मंत्रालय से कोई बयान जारी किया जाएगा. जिसके चलते बुधवार को इस मीटिंग को लेकर सेना की तरफ से कोई बयान जारी नहीं किया गया.
भारतीय सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और चीन की पीएलए सेना के दक्षिणी शिंचयांग मिलिट्री डिस्ट्रिक के कमांडर, मेजर लियु लिन ने इस कोर कमांडर स्तर की बातचीत में हिस्सा लिया. दोनों तरफ के करीब एक-एक दर्जन अधिकारियों ने इस मीटिंग में हिस्सा लिया जो एलएसी पर भारत के चुशूल में हुई. मीटिंग में एक लंबा वक्त बातचीत का पूरा ब्यौरा अंग्रेजी और चीनी भाषा में ट्रांसलेशन में भी लगा. ये अबतक की कोर कमांडर स्तर की सबसे लंबी बैठक थी. इससे पहले दोनों ही कोर कमांडर 6 जून (करीब सात घंटे लंबी बैठक), 22 जून (11 घंटे) और 30 जून (12 घंटे) को बैठक कर चुके हैं.
दोनों देशों के बीच क्या बात हुई हालांकि, मीटिंग के नतीजे के लिए गुरुवार तक का इंतजार करना पड़ेगा, लेकिन एबीपी न्यूज के पास भारत द्वारा मीटिंग में उठाए गए मुद्दों की जानकारी है. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में एलएसी पर सभी जगह पर डिसइंगेजमेंट पर बात हुई. एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के हेवी बिल्ट-अप को कम करने के साथ-साथ फिंगर एरिया और डेपसांग प्लेन्स पर चर्चा हुई.
भारत ने चीनी सेना के फिंगर एरिया नंबर-4 की रिज-लाइन पर मौजूद चीनी सैनिकों का मुद्दा भी मीटिंग में उठाया. इसके अलावा फिंगर-8 से फिंगर-5 तक भी चीनी सेना बड़ी तादाद में मौजूद है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच टकराव करने के लिए बेहद जरूरी है कि चीनी सैनिक यहां अपना जमावड़ा कम करे. ये भी भारतीय पक्ष ने कहा. दौलत बेग ओल्डी यानि डीबीओ के करीब डेपसांग प्लेन्स में भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है. डेपसांग प्लेन्स का मुद्दा भी इस मीटिंग का हिस्सा था.
सीमा पर 30-40 हजार सैनिकों के जमावड़ा पर चर्चा इसके अलावा एलएसी पर दोनों देशों के सैनिकों की संख्या को कम करने का मुद्दा भी इस मीटिंग के एजेंडे में है. क्योंकि पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के करीब 30-40 हजार सैनिकों के साथ-साथ टैंक, तोप, फाइटर जेट्स सहित हेवी मिलिट्री-मशीनरी का जमावड़ा है.
इस बीच खबर है कि आज रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रक्षा खरीद परिषद की मीटिंग लेने जा रहे है, जिसमें सेनाओं के लिए हथियार और दूसरे सैन्य सामान खरीदने पर निर्णय लिया जाएगा. रक्षा मंत्री की अध्यक्षता वाली इस परिषद में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस), तीनों सेनाओं के प्रमुख और रक्षा सचिव सदस्य हिस्सा लेंगे. इस मीटिंग से पहले थलसेना ने स्वदेशी ड्रोन खरीदने के लिए आरएफपी यानि रिक्यूस्ट फॉर प्रपोजल जारी कर दिया है. इसके तहत स्वदेशी कंपनियां अपना अपना प्रपोजल सेना को देंगी. इसके लिए स्वदेशी कंपनिया किसी विदेशी कंपनी से ज्वाइंट वेंचर भी कर सकती हैं इन ड्रोन के भारत में निर्माण के लिए.
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