सीमा विवाद के बीच भारत-चीन के मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों की हुई बैठक, नहीं निकला कोई नतीजा
मंगलवार को सैन्य कमांडर्स के बीच बातचीत बेनतीजा रही. मेजर जनरल रैंक के अधिकारियों की बातचीत हुई. चीन अपनी मांग पर अड़ा है लेकिन भारत भी अपने पक्ष पर अडिग है. आने वाले दिनों में सैन्य स्तर पर और मीटिंग हो सकती है.
नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच टकराव खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. मंगलवार को दोनों देशों के मेजर-जनरल रैंक के अधिकारियों की बॉर्डर पर ही मीटिंग हुई लेकिन बातचीत बेनतीजा रही. माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में दोनों देशों की सेनाओं के वरिष्ट कमांडर्स बैठक कर सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, चीन अपनी मांगों पर अड़ा है जिसके कारण बातचीत बेनतीजा हो रही है. लेकिन मीटिंग में भारत भी अपने पक्ष पर अडिग है.
मंगलवार के दोनों देशों की सेनाओं के डिवीजन-कमांडर्स ने बैठक की. ये बैठक वास्तवित नियंत्रण रेखा स्थित बीपीएम-हट यानि बॉर्डर पर्सनैल मीटिंग हट में हुई. लेकिन बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया. दरअसल, चीनी कमांडर्स इस बात पर अड़े हैं कि भारत सीमावर्ती इलाकों में सड़क और डिफेंस-फोर्टिफिकेशन का काम रोक दे. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि जो भी काम किया जा रहा है वो भारत के अधिकार-क्षेत्र में है उससे चीन को आपत्ति नहीं होनी चाहिए.
भारत ने भी चीन को अपना रुख बता दिया है. सूत्रों के मुताबिक, मीटिंग में भारतीय सेना ने चीनी समकक्ष से दो मांग रखीं. पहला ये कि या तो स्टेटेस-कयो यानि वैसी ही स्थिति बनाई जाए जैसाकि अप्रैल महीने की शुरूआत में थी. यानि, चीनी सेना ने गैलवान घाटी, गोगरा और फिंगर एरिया में जो नए कैंप लगाए हैं वो हटा ले और पीछे चली जाए. अगर ऐसा नहीं करती है तो दोनों देशों के कैंपों के बीच में वास्तवित नियंत्रण रेखा को 'डिमार्केट' यानि निर्धारित कर दी जाए. लेकिन चीन दोनों में से एक भी मांग मानने के लिए तैयार नहीं है. माना जा रहा है कि 6 जून को एक बार दोनों देशों के वरिष्ट सैन्य कमांडर्स के बीच बातचीत हो सकती है.
पिछले एक महीने से भारत और चीन के सैनिकों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव बना हुआ है. लद्दाख में फिंगर एरिया के अलावा गैलवान घाटी, डेमचोक और हॉट-स्प्रिंग के करीब गोगरा में दोनों देशों के बीच तनातनी चल रही है. गैलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिक आमने-सामने टेंट गाड़कर जम गए हैं.
हालांकि, जब से दोनों देशों की सेनाओं में तनाव शुरू हुआ है तब से ही बॉर्डर पर लगभग रोजाना दोनों देशों के कर्नल या फिर ब्रिगेडयर स्तर की बातचीत लगभग रोजाना हो रही है. लेकिन दोनों देशों के बीच तनाव खत्म नहीं हो रहा है. लेकिन मंगलवार की बैठक बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही थी. इससे पहले 22 और 23 मई को भी दो बार अहम बैठक हो चुकी है.
इस बीच भारतीय सेना की उत्तरी कमान के जीओसी-एन-सी (जनरल ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ), लेफ्टिनेंट जनरल वाई के जोशी ने लेह स्थित 14वीं कोर के मुख्यालय का दौरा किया. लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर ही लद्दाख से सटी चीन सीमा की रखवाली करती है. यहां की 3-डिव यानि त्रिशूल-डिवीजन की जिम्मेदारी चीना सीमा की है. कोर की दूसरी डिवीजन करगिल, द्रास, बटालिक और सियाचिन की निगहबानी करती हैं. आर्मी कमांडर ने लेह कोर की ऑपरेशन्ल तैयारियों का जायजा लिया और हालात की समीक्षा की.