नई दिल्ली: बुधवार को दिल्ली में चाईना के वाइस मिनिस्टर ऑफ़ कॉमर्स वांग शोवेन के साथ हुई औपचारिक बैठक में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चीन के सामने भारतीय उत्पादकों और व्यापारियों की एक ऐसी चिंता रखी जो धंधे में चीन की बेईमानी के कारण उत्पन्न हुई है.
क्या है भारतीय उद्यमियों की चिंता
चीन बड़ी तादात में अपना माल सस्ते दामों में भारत में भेजता है. इससे भारत के उद्योग पर बुरा असर पड़ रहा है. आप कहेंगे, लेकिन इसमें तो आम आदमी का फ़ायदा है. चाईना कम मुनाफ़े में काम कर रहा है. लेकिन अगर ऐसा होता तो ये स्वस्थ परम्परा कही जाती, पर इसमें पेंच कुछ दूसरा है जो चाईना की बेईमानी और नियमों के उल्लंघन से जुड़ा है.
क्या है धंधे में चाईना की बेईमानी
दरअसल चीन के व्यापारी ओवर इन्वॉयसिंग करते हैं. यानी अपने एक रूपए के माल को काग़ज़ पर दस रूपए का दिखाते हैं. जिससे उन्हें अपने देश में निर्यात के लिए मिलने वाली सब्सिडी भी प्राप्त हो जाती है और अन्तर्राष्ट्रीय मानक भी पूरे हो जाते हैं. अधिक पैसे मिल जाने पर व्यापारी अपने अतिरिक्त लाभ की छूट ग्राहकों को दे देते हैं जिससे भारतीय बाज़ार में चाईना का माल लागत मूल्य से भी कम दाम में बेच दिया जाता है. इसी तरह किन्हीं ख़ास नियमों से बचने के लिए अंडर इन्वॉयसिंग भी की जाती है. इस प्रक्रिया के तहत मनी लॉन्ड्रिंग का बड़ा खेल भी चलता है. और ये सब चीनी सरकार के अप्रत्यक्ष संरक्षण में होता है.
चीनी मंत्री ने ख़ुद ही खोली पोल
औपचारिक बैठक के दौरान वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने चीन के वाइस मिनिस्टर वांग शोवेन से पूछा कि आपके देश के उद्यमी अपना माल लागत मूल्य से भी कम दाम में भारत में कैसे बेंच देते हैं ? इस पर चीनी मंत्री ने कहा कि हमारे उद्यमी ओवर या अंडर इन्वॉयसिंग कर देते हैं. इस पर जब पीयूष गोयल ने कहा कि तब तो दोनों देशों को मिल कर दोनों देशों के ऐसे व्यापारियों के ख़िलाफ़ क़दम उठाना चाहिए, तब चीनी मंत्री गोल-मोल बातें करने लगे.
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भारत ने किया आगाह
लेकिन भारत का पक्ष रखते हुए पीयूष गोयल ने चीन के सामने इस पर कड़ा एतराज़ जताया है. हालांकि मंत्रालय के उच्च सूत्रों के अनुसार भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय इस मामले में स्वयं भी कई क़दम उठाने वाला है.
भारतीय आयात को लगेगा झटका
भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय जल्द ही आयात को कम करने के लिए कई तरह के उपाय करने की तैयारी कर रहा है. साथ ही घरेलू उद्योगों की फ़ायनेंसिंग को मजबूत करने के उपाय किए जाएंगे. इसके पीछे विचार ये है कि आयात कम होने होने पर ही देशी उद्योग निर्यात बढ़ाने की दिशा में देश को ले जा सकेंगे.
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