Disengagement In Gogra-Hot Sprigns: पूर्वी लद्दाख के पीपी-15 (गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स) से सैनिकों के पीछे हटने के बाद मंगलवार को भारत और चीन के सैन्य कमांडर इस इलाके का दौरा कर तस्दीक करेंगे कि तय अनुसार डिसइंगेजमेंट हुआ है या नहीं. सूत्रों के मुताबिक, भारतीय सेना (Indian Army) ने वर्चुअली इस बात की तस्दीक कर ली है कि चीनी सेना ने अपना कैंप पेट्रोलिंग-पॉइंट नंबर 15 से हटा लिया है, लेकिन आज खुद सैन्य कमांडर फिजिकली जाकर स्थिति को वेरीफाई करेंगे. इसके बाद फील्ड कमांडर अपनी रिपोर्ट सेना की उत्तरी कमान को भेजेंगे और वहां से ये रिपोर्ट थलसेना प्रमुख को साउथ ब्लॉक भेजी जाएगी.


सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर सेना प्रमुख का बयान


दोनों पक्ष गश्त चौकी-15 (पीपी-15) से पीछे हट गए हैं, लेकिन डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में गतिरोध को हल करने में अभी तक कोई प्रगति नहीं हुई है. भारत और चीन की सेनाओं ने आठ सितंबर को घोषणा की थी कि उन्होंने क्षेत्र में गतिरोध वाले स्थानों से सैनिकों को हटाने के लिए रुकी हुई प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए पीपी-15 से सैनिकों को हटाना शुरू कर दिया है. पीपी-15 में सैनिकों के पीछे हटने के बारे में पूछे जाने पर थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने कहा, "मुझे जाकर जायजा लेना होगा. लेकिन यह (सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया) निर्धारित कार्यक्रम और निर्णय के अनुसार हो रही है."


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने क्या कहा था?


अरिंदम बागची ने इस पूरी प्रक्रिया को लेकर कहा था कि इस बात पर सहमति बनी है कि दोनों पक्षों द्वारा क्षेत्र में बनाए गए सभी अस्थायी ढांचे और अन्य संबद्ध बुनियादी ढांचे को तोड़ा जाएगा और पारस्परिक रूप से सत्यापित किया जाएगा. क्षेत्र में भूभाग को दोनों पक्षों द्वारा पहले वाली अवस्था में बहाल कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि समझौता सुनिश्चित करता है कि इस क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का दोनों पक्षों द्वारा कड़ाई से पालन और सम्मान किया जाएगा और यथास्थिति में एकतरफा बदलाव नहीं होगा.


गौरतलब है कि भारत लगातार इस बात पर जोर देता रहा है कि एलएसी पर अमन और चैन द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए महत्वपूर्ण है. पैंगोंग झील क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद 5 मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा गतिरोध शुरू हुआ था. पैंगोंग झील क्षेत्र में सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पिछले साल फरवरी में हुई थी जबकि गोगरा में गश्त चौकी-17 (ए) से सैनिकों और सैन्य साजो सामानों की वापसी पिछले साल अगस्त में हुई थी.


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