Military Commanders Meeting: भारत और चीन के बीच 12 जनवरी को होने वाली मिलिट्री कमांडर्स मीटिंग में पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के सभी बाकी बचे विवादित इलाकों पर बातचीत होने की संभावना है. मीटिंग से दो दिन पहले सोमवार को भारत के सुरक्षा-प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बताया कि "बचे हुए विवादित क्षेत्रों को हल करने के लिए भारत रचनात्मक बातचीत की उम्मीद कर रहा है." सूत्रों के मुताबिक, 12 जनवरी को दोनों देशों के 'सीनियर हायेस्ट मिलिट्री कमांडर' स्तर की बातचीत पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोल्डो मीटिंग-प्वॉइंट पर चीनी इलाके में सुबह 09.30 बजे होगी. आखिरी मीटिंग पिछले साल अक्टूबर के महीने में हुई थी.


ये मीटिंग ऐसे समय में होने जा रही है जब चीन की तरफ से नए साल के मौके पर गलवान घाटी में झंडा फहराए जाने और अपनी एक इंच जमीन भी ना देने के कई प्रोपगैंडा वीडियो जारी किए गए. हालांकि, चीन के वीडियो को काउंटर करने के लिए भारत ने भी गलवान घाटी में भारतीय सेना की ओबजर्वेशन पोस्ट पर तैनात सैनिकों के हाथों में तिरंगे के साथ तस्वीरें जारी की.


14वें दौर की मीटिंग में भारत की तरफ से लेह स्थित फायर एंड फ्यूरी कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल अन्निदेय सेनगुप्ता हिस्सा लेंगे. सेनगुप्ता ने इसी हफ्ते ही कोर की कमान संभाली है.


पिछले 20 महीनों से पूर्वी लद्दाख से सटी लाइन ऑफ कंट्रोल यानि एलएसी पर भारत और चीन के बीच विवाद चल रहा है. पिछले तीन दौर की मीटिंग (यानि 11वीं, 12वीं और 13वीं) में फिंगर एरिया, कैलाश हिल रेंज और‌ गोगरा में तो डिसइंगेजमेंट हो गया है, लेकिन हॉट स्प्रिंग, डेमचोक और डेपसांग प्लेन में अभा भी दोनों देशों के सैनिकों में फेसऑफ की स्थिति बनी हुई है.


आपको बता दें कि 12 जनवरी को ही थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे राजधानी दिल्ली में सालाना प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करेंगे. हर साल सेना दिवस (14 जनवरी) से पहले थलसेना प्रमुख सालाना मीडियै कांफ्रेंस को संबोधित करते हैं.


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