नई दिल्ली: भारतीय सेना ने एलएसी पर चीन के खिलाफ जबरदस्त किलेबंदी कर रखी है ताकि चीन अगर अब कोई चाल चलता है या घुसपैठ करता है तो उसका मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके. आज एबीपी न्यूज बताने जा रही है कि पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल (एलएसी) पर कैसे चीन की घेराबंदी कर रखी है. ये घेराबंदी इसलिए ताकि चीनी सेना की घुसपैठ तो रोकी जा ही सके बल्कि जरूरत पड़ने पर खदेड़ा भी जा सके.


14वीं कोर- लेह स्थित 14वीं कोर की मुख्य तौर से जिम्मेदारी है पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी की सुरक्षा की. फायर एंड फ्यूरी के नाम ‌से जाने जानी वाली 14वीं कोर क्योंकि चीन सीमा के साथ करगिल, द्रास और बटालिक इलाकों में पाकिस्तान से सटी एलओसी‌ और सियाचिन ग्लेशियर की रखवाली भी करती है, इसलिए इस कोर की पूरी एक डिवीजन पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाती है. इस 3डिव को त्रिशुल डिवीजन के नाम से भी जाना जाता है. एक डिव में करीब 10 हजार इंफेंट्री यानि पैदल सैनिक होते हैं (करीब तीन ब्रिगेड). इसके अलावा डिव में आर्मर्ड यानि टैंक ब्रिगेड, आर्टलरी यानि तोपखाना, एयर-डिफेंस, इंजीनियरिंग इत्यादि भी शामिल होते हैंं ऐसे में एक डिवीजन की पूरी फोर्स करीब-करीब 20 हजार तक पहुंच जाती है. यानि शांति के समय में 20 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख में चीन से सटी एलएसी पर तैनात रहते हैं.


स्ट्राइक कोर- मई के महीने में जब पूर्वी लद्दाख में चीन से हालात बिगड़े तो भारतीय सेना ने अपनी एक स्ट्राइक कोर को लद्दाख में तैनात कर दिया था. ये स्ट्राइक कोर युद्द के समय में दुश्मन की सीमा में घुसकर हमला करने के लिए इस्तेमाल की जाती है. एक स्ट्राइक कोर में कुल 40-50 हजार सैनिक होते हैं. लेकिन एबीपी न्यूज को जो जानकारी मिली है उ‌सके मुताबिक इस ‌स्ट्राइक कोर की करीब दो डिवीजन यहां तैनात की गई है. यानि 25-30 अतिरिक्त सैनिक. ऐसे में एक अनुमान के मुताबिक, भारत के 40-50 हजार सैनिक पूर्वी लद्दाख में तैनात हैं.



टैंक- करीब पांच छह साल से भारतीय सेना की एक पूरी टैंक ब्रिगेड पूर्वी लद्दाख में तैनात है. इसके अलावा चीन को टक्कर देने के लिए स्ट्राइक कोर की आर्मर्ड ब्रिगेड को भी यहां खास तौर से तैनात किया गया है. डीबीओ के करीब डेपसांग प्लेन्स, चुशुल और डेमोचक जैसे इलाकों में भारत ने अपने टी-72 और टी-90 टैंकों को तैनात कर रखा है.


तोप- बोफोर्स, एम-774 हॉवित्ज़र, मीडियम और फील्ड गन्स को भारतीय सेना ने कई स्ट्रेटोजिकल पोजिशन पर तैनात कर रखा है. सुरक्षा कारणों से इन तोपों की लोकेशन हम आपको नहीं बता सकते हैं.


एयर-डिफेंस- सैन्य छावनियों और फील्ड हेडक्वार्टर्स की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना ने यहां स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम से लेकर रूसी इग्ला मिसाइल सिस्टम को तैनात कर रखा है.


इंजीनियरिंग कोर- नदी नालों पर पुल बनाना हो या एलएसी पर लैंडमाइन्स का पता लगाना हो, उसके लिए इंजीनियरिंग कोर भी यहां तैनात है.


स्पेशल फोर्सेज़- बिहाइंड द एनेमा लाइंस हमला करने के लिए पैरा-एसएफ और स्पेशल फ्रंटियर फोर्स (एसएफएफ) के कमांडोज़ की यूनिट्स भी खास लोकेशन्स पर तैनात हैं. एसएफएफ को कमांडोज़ तो अपना लोहा 29-30 अगस्त की रात को पैंगोंग त्सो लेक के दक्षिण छोर पर पहले ही दिखा चुके हैं.