Rajnath Singh On LAC Agreement: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने गुरुवार (24 अक्टूबर) को वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच लंबे समय से चले आ रहे सीमा तनाव को हल करने में मिली सफलता की सराहना की. चाणक्य डिफेंस डायलॉग 2024 में बोलते हुए उन्होंने कहा कि महीनों की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता का नतीजा है कि दोनों देशों ने पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई के अधिकार को फिर से शुरू करने के लिए आम सहमति बनी है.


उन्होंने कहा,  “भारत और चीन एलएसी के साथ कुछ क्षेत्रों में अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए कूटनीतिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत कर रहे हैं. बातचीत के बाद, समान और पारस्परिक सुरक्षा के सिद्धांतों के आधार पर जमीनी स्थिति को बहाल करने के लिए व्यापक सहमति मिली है. इसमें पारंपरिक क्षेत्रों में गश्त और चराई शामिल है. यह निरंतर संवाद में संलग्न होने की शक्ति है क्योंकि जल्द या बाद में, समाधान निकलेगा.”


राजनाथ सिंह ने दिया चाणक्य का उदाहरण


रक्षा मंत्री ने कहा, “आचार्य चाणक्य ने एक बार कहा था - कार्य पुरुषकारेण, लक्ष्यं सम्पद्यते जिसका अर्थ है "जब व्यक्ति लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दृढ़ संकल्पित होता है, तो कार्य पूर्ण हो जाता है." इसलिए, आइए हम सभी सुरक्षा और विकास दोनों को गति देने के लिए अपनी पूरी ताकत लगाने का संकल्प लें.’


उन्होंने आगे कहा, “सुरक्षा और विकास का सह-अस्तित्व कोई सरल मामला नहीं है. इसके लिए व्यापक अध्ययन, विश्लेषण और योजना की जरूरत होती है. मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि यह संवाद भू-राजनीतिक गतिशीलता, आर्थिक विकास रणनीतियों, पर्यावरणीय स्थिरता और अन्य सहित विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित कर रहा है.”


2020 से भारत-चीन के बीच चल रही तनातनी


दोनों देशों के बीच सीमा समझौता 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद से कई गहन उच्च-स्तरीय बातचीत के बाद हुआ है. नए समझौते से भारतीय सेना को डेपसांग और डेमचोक जैसे प्रमुख क्षेत्रों में गश्त फिर से शुरू करने की अनुमति मिलती है, जो गतिरोध में लंबे समय से फ्लैशपॉइंट रहे हैं. इन गतिविधियों को फिर से शुरू करना विश्वास और दोनों देशों की सैन्य तनाव को कम करने की इच्छा के संकेत के रूप में देखा जा सकता है.


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