India China Border Agreement: भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर सैन्य गतिरोध को हल करने में प्रगति की है. दोनों देश कथित तौर पर देपसांग और डेमचोक क्षेत्र में एक-दूसरे को गश्त करने के अधिकार बहाल करने पर सहमत हुए हैं, जिससे उनके सैनिकों को इन क्षेत्रों में एलएसी के साथ अपने पुराने पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक गश्त फिर से शुरू करने की इजाजत मिल जाएगी.


भारत और चीन के संबंधों में जमीन स्तर पर परिवर्तन लाने के लिए हर संभव प्रयास किया गया है. सर्दी में भी दोनों के रिश्तों में गर्माहट रहे इसपर विशेष ध्यान दिया जा रहा है. गलवान घाटी संघर्ष के चार साल बाद, भारत और चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गश्ती व्यवस्था को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला किया है.


विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?


विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इसकी घोषणा की, जिसमें कहा गया कि यह समझौता दोनों देशों के बीच तनाव को कम करने में सहायक होगा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी पुष्टि की कि भारतीय और चीनी सैनिक सीमा पर गश्त फिर से उसी तरह कर सकेंगे जैसे वे मई 2020 से पहले करते थे.


संपूर्ण चीन-भारत सीमा (पश्चिमी एलएसी, बीच में छोटा निर्विवाद खंड और पूर्व में मैकमोहन रेखा सहित) 4.056 किमी लंबी है और पांच भारतीय राज्यों/क्षेत्रों को पार करती है: जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश.


क्या होगा राजनीतिक असर?


यह समझौता उच्च स्तरीय राजनयिक बातचीत को सुविधाजनक बना सकता है, जैसे कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर नेताओं के बीच संभावित बैठकें. भारत के लिए, इसका मतलब बिना संघर्ष के अपने सीमा, बुनियादी ढांचे का विकास करना हो सकता है. जबकि, चीन के लिए यह अन्य वैश्विक तनावों के बीच अपनी सीमा को स्थिर करने की रणनीतिक जरूरत को दर्शाता है.


क्या चीन पर भरोसा कर सकता है भारत?


2020 से पहले की गश्ती स्थिति की बहाली भरोसे के रूप में देखा जा रहा है लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि चीन पर भरोसा करना आसान नहीं है क्योंकि समय-समय पर वो धोखा देता रहा है. हालांकि यह दोनों पक्षों के बीच यथास्थिति पर लौटने की पारस्परिक इच्छा को दर्शाता है, जिससे आगे की बातचीत का रास्ता खुलेगा.


डेपसांग मैदान और डेमचोक जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में टकराव को कम करने में मदद कर सकता है. इससे LAC पर स्थिति को स्थिर करने का मौका मिलेगा, जो सीमा मुद्दों पर व्यापक बातचीत के लिए अनुकूल माहौल तैयार करेगा.


अब हमले होंगे कम?


यह समझौता उस क्षेत्र में डी-एस्केलेशन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां दोनों देशों ने हजारों सैनिकों को तैनात किया है. 2020 में गश्त मानदंडों में बदलाव के कारण झड़पों की संभावना बढ़ गई थी. इस नई व्यवस्था से सैन्य मुठभेड़ों में कमी आने की संभावना है.


गलवान संघर्ष का बैकग्राउंड


15 जून, 2020 को गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प एक बड़ा तनाव पैदा करने वाली घटना थी. यह 1975 के बाद से इस क्षेत्र में पहला घातक टकराव था, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए. झड़प के पीछे सीमा बुनियादी ढांचे के विकास और एलएसी के विभिन्न दृष्टिकोणों का योगदान था. गलवान के अलावा, वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कई अन्य बिंदु भी हैं:


- डेमचोक: यहां भारत का नियंत्रण पश्चिमी भाग पर है, जबकि पूर्वी भाग चीन के नियंत्रण में है.


- पैंगोंग: यह क्षेत्र तिब्बत, लद्दाख और विवादित क्षेत्रों में विभाजित है.


- हॉट स्प्रिंग्स: यह क्षेत्र भारत के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह एलएसी पर निगरानी करने में मदद करता है.


भारत औऱ चीन के एग्रीमेंट के बाद न केवल क्षेत्र में स्थिरता बढ़ेगी, बल्कि यह दोनों देशों के बीच आगे की बातचीत का मार्ग प्रशस्त करेगा. भारत के लिए ये एक बड़ा कदम होगा.


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