India-China Relations: भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान पर चीन की प्रतिक्रिया आई है. गुरुवार (11 अप्रैल, 2024) को बीजिंग की ओर से कहा गया कि ‘मजबूत और स्थिर रिश्ते’ चीन और भारत के साझा हितों की पूर्ति करते हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग से जब नरेंद्र मोदी के बयान पर जवाब मांगा गया तो उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा, ‘‘चीन ने प्रधानमंत्री की टिप्पणियों पर गौर किया है. हमारा मानना है कि मजबूत और स्थिर चीन-भारत संबंध दोनों पक्षों के साझा हितों की पूर्ति करते हैं और शांति तथा क्षेत्र और उससे परे के विकास के लिए अनुकूल हैं.’’
रिश्तों पर चीन ने यह भी कहा
माओ निंग के मुताबिक, सीमा से जुड़ा सवाल भारत-चीन संबंधों की संपूर्णता का प्रतिनिधित्व नहीं करता है और इसे द्विपक्षीय संबंधों में उचित रूप से रखा जाना चाहिए और ठीक से प्रबंधित किया जाना चाहिए. दोनों देश राजनयिक और सैन्य माध्यमों से करीबी संपर्क में हैं.
चीनी प्रवक्ता ने यह भी बताया, हमें उम्मीद है कि भारत समान दिशा में चीन के साथ काम करेगा, द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक ऊंचाइयों और दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य के लिहाज से संभालेगा, आपसी विश्वास बढ़ाएगा, बातचीत और सहयोग पर कायम रहेगा, मतभेदों को ठीक से संभालेगा और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत और स्थिर बनाने की राह पर चलेगा.
PM नरेंद्र मोदी ने क्या कहा था?
अमेरिकी पत्रिका ‘न्यूजवीक’ को दिए इंटरव्यू में भारतीय पीएम की ओर से कहा गया था कि नई दिल्ली (भारत) के लिए बीजिंग (चीन) के साथ रिश्ते महत्वपूर्ण हैं. सीमाओं पर ‘लंबे समय से जारी हालात’ का हल तत्काल करना चाहिए. बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने आशा जताई कि राजनयिक और सैन्य स्तरों पर सकारात्मक और रचनात्मक द्विपक्षीय जुड़ाव के माध्यम से दोनों देश सीमाओं पर शांति बहाल करने और इसे बनाए रखने में सक्षम होंगे.
पीएम मोदी बोले थे, ‘‘मेरा मानना है कि हमें सीमाओं पर लंबे समय से बरकरार हालात का तत्काल हल करने की जरूरत है ताकि हमारी द्विपक्षीय बातचीत में असहजता को पीछे छोड़ा जा सके. भारत और चीन के बीच स्थिर और शांतिपूर्ण संबंध न केवल हमारे दोनों देशों के लिए बल्कि पूरे क्षेत्र और विश्व के लिए महत्वपूर्ण हैं.’’
भारत-चीन के बीच अब तक ये-ये हुआ
पैंगोंग त्सो (झील) क्षेत्र में हिंसक झड़प के बाद पांच मई, 2020 को पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध उत्पन्न होने के बाद से व्यापार संबंधों को छोड़कर भारत और चीन के बीच संबंधों में फिलहाल ठहराव है. गतिरोध को सुलझाने के लिए दोनों पक्ष अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता कर चुके हैं.
चीनी सेना के अनुसार दोनों पक्ष अब तक चार बिंदुओं- गलवान घाटी, पैंगोंग झील, हॉट स्प्रिंग्स और जियानान दबन (गोगरा) से पीछे हटने पर सहमत हुए हैं. भारत पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर डेपसांग और डेमचोक इलाकों से सेना हटाने का दबाव बना रहा है और उसका कहना है कि जब तक सीमाओं पर असहज हालात बने रहेंगे तब तक चीन-भारत के संबंधों में सहज स्थिति की बहाली नहीं हो सकती.
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