India China Conflict: भारत और चीन के बीच मई 2020 के बाद से गतिरोध जारी है. टकराव वाले इलाकों से दोनों ही देश पीछे हटे हैं लेकिन सीमा विवाद का पूरी तरह से समाधान अभी तक नहीं हो पाया है. इन सब के बीच चीन को मात देने के लिए भारत भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहता. इसी क्रम में भारत लगातार कदम उठा रहा है.


ताजा मामले में भारतीय वायुसेना लद्दाख में लेह वायुसेना अड्डे पर एक दूसरा रनवे बना रही है. वास्तविक रेखा नियंत्रण (एलएसी) और सियाचिन पर भारत की सैन्य स्थिति और प्रभुत्व बनाए रखने के लिए ये एक जरूरी कदम है. लेह एयरबेस की एक सेटेलाइट इमेज सामने आई है जिसमें साफ दिख रहा है कि वायुसेना का दूसरा रनवे बना रही है जो आधा तैयार हो चुक है. ये इमेज 12 जून की है.


जानिए क्यों महत्वपूर्ण है ये दूसरा रनवे?


अधिकारियों के अनुसार, लेह एयरबेस LAC और सियाचिन में भारत की सैन्य स्थिति को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है, C-17, IL-76 और चिनूक जैसे भारी विमान, साथ ही AN-32 जैसे छोटे विमान, 10,000 फीट ऊंचे बेस तक लगातार हवाई पुल बनाए रखते हैं. सैनिकों, आपूर्ति, हथियारों और उपकरणों को ले जाते हैं.


यह सर्दियों में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब क्षेत्र का सड़क संपर्क बर्फ से कट जाता है. अतिरिक्त हवाई क्षेत्र, जैसे कि दौलत बेग ओल्डी (DBO), फुक्चे और हाल ही में अपग्रेड किए गए न्योमा हवाई पट्टी, इन ऑपरेशनों का समर्थन करते हैं.


चीन के सामने भारत भी कर रहा खुद को अपग्रेड


लद्दाख भारतीय वायुसेना का पहला ऐसा उच्च ऊंचाई वाला एयरबेस होगा, जिसमें दो रनवे होंगे. दिलचस्प बात यह है कि तिब्बत में कई चीनी एयरबेस में कई रनवे हैं. उत्तर-पश्चिम चीन में एक दोहरी नागरिक-सैन्य हवाई अड्डा होटन में दो पक्के रनवे हैं. पूर्वी थिएटर में शिगास्ते और चांगदू बांगडा में भी ऐसी ही क्षमताएं हैं. चीन तिब्बत में अपने एयरबेस को अपग्रेड कर रहा है, उपग्रह इमेजरी से नई सुविधाओं और बुनियादी ढांचे का पता चलता है.


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