लद्दाख: एलएसी पर चीन से चल रही तनातनी के बीच भारतीय वायुसेना के जंगी बेड़े के सबसे शक्तिशाली फाइटर जेट्स राफेल अब लेह-लद्दाख के आसमान में कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करते हुए देखे जा सकते हैं. आपको बता दें कि पिछले चार महीने से यानि जब से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर चीन से टकराव शुरू हुआ है तभी से भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमान एलएसी के करीब एयर-स्पेस में कॉम्बेट पैट्रोलिंग कर रहे हैं. और इनमें अब एक नाम और जुड़ गया है- राफेल का.
लेह लद्दाख के आसमान में राफेल लड़ाकू विमान कॉम्बेट एयर पैट्रोलिंग करते हुए साफ देखा जा सकता है. यानि सुखोई, मिग-29, मिराज 2000 और तेजस के साथ साथ राफेल लड़ाकू विमान भी चीन सीमा की निगहबानी में जुट गया है. वायुसेना के एक वरिष्ट अधिकारी ने एबीपी न्यूज को बताया कि फ्रांस से भारत आने के बाद जैसे ही राफेल लड़ाकू विमान ऑपरेशन्ली तैयार हुए तभी से वे एलएसी पर लगातार कॉम्बेट पैट्रोलिंग कर रहे हैं. चीन से सटी एलएसी पर भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स दिन-रात एयर कॉम्बेट पैट्रोलिंग कर रहे हैं.
10 सितंबर को अंबाला में इंडक्शन-सेरेमनी के दौरान भी वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल आर के एस भदौरिया ने इस बात की तस्दीक की थी कि राफेल लड़ाकू विमान पूरी तरह से तैयार हैं और मौजूदा परिप्रेक्ष्य (चीन से विवाद) में खुद को उसके अनुरूप बना रहा है.
वायुसेना प्रमुख ने ये भी बताया था की भारत आने के बाद से ही राफेल भारत के दूसरे फाइटर जेट्स के साथ ट्रेनिंग कर रहा है और यहां तक वैपेन फायरिंग की प्रैक्टिस भी कर रहा है.
भारत ने फ्रांस के साथ 36 राफेल लड़ाकू विमानों का सौदा किया था. इनमें से पांच जेट भारत पहुंच चुके हैं और वायुसेना की अंबाला स्थित गोल्डन ऐरो स्कॉवड्रन का हिस्सा बन चुके हैं. पांच विमान अगले महीने यानि अक्टूबर में भारत आएंगे.
चीन ने की है भारी तैनाती
राफेल विमानों की तैनाती लद्दाख में ऐसे वक्त में की गई है जब लगातार ऐसी रिपोर्ट आ रही हैं कि चीन पूर्वी लद्दाख से सटे अपने एयरबेस अपग्रेड कर रहा है और लड़ाकू विमानों की संख्या बढ़ा रहा है. जानकारी के मुताबिक, चीन भी लद्दाख और हिमाचल प्रदेश से सटी भारत की एयर स्पेस पर अपने फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर उड़ा रहा है.
हाल ही एलएसी से सटे तिब्बत के नगरी-गुंसा एयरपोर्ट को चीन ने एयरबेस में तब्दील कर दिया है. वहां चीन के फाइटर जेट्स बड़ी तादाद में देखे जा सकते हैं.
चीन की वेस्टर्न थियेटर कमांड पूरी भारत सीमा को देखती है. दरअसल, ये एक ज्वाइंट कमांड है जिसमें थलसेना (पीएलए-ग्राउंड फोर्सेज़) और वायुसेना यानि पीएलए-एयरफोर्स एक साथ काम करती हैं.
भारत से सटे चीन के मुख्य एयरबेस, तिब्बत की राजधानी ल्हासा, नगरी-गुंसा, कासगर, निंगचीं, शैनान इत्यादि हैं. यहां पर चीन के जे-20, जे 11 और सुखोई तैनात रहते हैं. चीन के पास करीब तीन हजार फाइटर जेट्स हैं जबकि भारत के पास दो हजार लड़ाकू विमान हैं.
राफेल की लद्दाख में तैनाती के चलते ही चीन ने अपनी सेंट्रल थियटेर कमांड के बॉम्बर एच-6 और वाई-20 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट्स को भारत से सटी सीमा पर तैनात कर दिया है. ये बड़ा डेवलपमेंट है क्योंकि भारत से सटी सीमा की जिम्मेदारी वेस्टर्न थियेटर कमांड की है. यानि चीन की एक अकेली थियेटर कमांड भारतीय वायुसेना से टक्कर लेने में पूरी तरह सक्षम नहीं दिखाई पड़ रही है. इसीलिए दूसरी कमांड की मदद लेनी पड़ रही है. चीन की वेस्टर्न थियेटर कमांड के पहले से ही करीब 150 फाइटर जेट्स और हेलीकॉप्टर भारतीय सीमा पर तैनात हैं.
महिला फाइटर पायलट उड़ाएंगी राफेल
चीन की सेंट्रल थियेटर कमांड राजधानी बीजिंग के आसपास वाले की सुरक्षा करती है. जबकि वेस्टर्न थियेटर कमांड भारत से सटी 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी को देखती है. इस बीच खबर है कि जल्द ही एक महिला पायलट राफेल लड़ाकू विमान उड़ा सकती है. इस वक्त भारतीय वायुसेना में दस महिला फाइटर पायलट है. इनमें से एक महिला पायलट को अंबाला स्थित गोल्डन स्कॉवड्रन में तैनात किया जाएगा.
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