भारत-चीन सीमा विवाद: CDS बिपिन रावत बोले- बातचीत नाकाम हुई तो सैन्य विकल्प तैयार
बिपिन रावत ने कहा है कि अगर चीन से बातचीत नाकाम होती है तो सैन्य विकल्प तैयार है. बिपिन रावत ने कहा है किदोनों देशों की सेनाएं भी शांतिपूर्ण तरीके से मसले को हल करने में जुटी हैं.
नई दिल्ली: पूर्व लद्दाख में पिछले कई महीनों से जारी भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है. बिपिन रावत ने एक अखबार से खास बातचीत में कहा है कि अगर चीन से बातचीत नाकाम होती है तो सैन्य विकल्प तैयार है. जनरल रावत ने कहा चीन से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है. दोनों देशों की सेनाएं भी शांतिपूर्ण तरीके से मसले को हल करने में जुटी हैं.
LAC के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं- रावत
बिपिन रावत ने कहा है, ‘’पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की तरफ से किए गए बदलावों से निपटने के लिए एक सैन्य विकल्प मौजूद है. केवल दो देशों की सेनाओं के बीच बातचीत होने पर ही उसका इस्तेमाल किया जा सकेगा. एलएसी के साथ हुए बदलाव अलग-अलग धारणाओं के कारण होते हैं. रक्षा सेवाओं पर निगरानी रखने और घुसपैठ को रोकने के लिए ऐसे अभियानों को रोकने का काम सौंपा जाता है.’’
रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं- रावत
सीडीएस रावत ने आगे कहा, ‘’जैसी गतिविधि इस वक्त भारत-तीन के बीच है, ऐसी गतिविधि को शांतिपूर्वक ढंग से हल करने और घुसपैठ को रोकने के लिए सरकार के संपूर्ण दृष्टिकोण को अपनाया जाता है.’’ उन्होंने कहा, ‘’रक्षा सेवाएं हमेशा सैन्य कार्यों के लिए तैयार रहती हैं, फिर चाहें उसमें एलएसी के साथ यथास्थिति को बहाल करने के सभी प्रयासों का सफल न होना ही शामिल क्यों न हो."
रावत के बयान से पहले पीएम मोदी ने किया था सेना का जिक्र
बता दें कि सीडीएस बिपिन रावत के इस बयान से पहले 15 अगस्त यानि भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो टूक शब्दों में कहा था कि “एलओसी से लेकर एलएसी (यानि पाकिस्तान से लेकर चीनी सीमा तक) जिसने भी भारत की संप्रभुता की तरफ आंख उठाकर देखा है देश की सेना ने उसका उसी की भाषा में जवाब दिया है.”
पीएम का इशारा गलवान घाटी में 15-16 जून की रात हुए हिंसक संघर्ष में चीनी सेना को दिए मुंहतोड़ जवाब की तरफ था. इस हिंसा में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. चीन को भी इस हिंसा में भारी नुकसान उठाना पड़ा था, लेकिन चीनी सेना ने अपने हताहत हुए सैनिकों की संख्या का खुलासा आजतक नहीं किया है.
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