नई दिल्लीः करीब ढाई महीने बाद भारत और चीन के कोर कमांडर्स एलएसी पर तनाव खत्म करने के लिए एक बार फिर मिले. दोनों देशों के बीच कमांडर लेवल की यह 9वीं बैठक थी. ये मुलाकात एलएसी से सटे मोल्डो में चीन की तरफ हुई. 17 घंटे से ज्यादा चली इस बैठक में सीमा पर जारी गतिरोध कम करने को लेकर बात हुई. भारत-चीन सीमा पर पिछले आठ महीने से पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दोनों देशों के सेनाओं के बीच टकराव लगातार जारी है. इस गतिरोध को दूर करने के लिए ही बैठक बुलाई गई थी.
जानकारी के मुताबिक, रविवार को भारतीय सेना की तरफ से लेह स्थित 14वीं कोर (फायर एंड फ्यूरी कोर) के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन ने नेतृत्व किया. वहीं चीन की ओर से पीएलए-सेना के दक्षिणी झिंगज्यांग डिस्ट्रिक के कमांडर इस वार्ता को लीड कर रहे थे.
ये मीटिंग चीन के कहने पर बुलाई गई थी. मीटिंग का एजेंडा डिसइंगेजमेंट और डि-एस्कलेशन होगा यानी दोनों देशों के सैनिक एलएसी से पीछे हट जाएं और सैनिकों की तादाद भी कम कर दी जाए को लेकर था. इससे पहले 8 दौर की वार्ता हो चुकी थी लेकिन कोई भी हल नहीं निकला था.
तनाव को कम करने के लिए दोनों देशों के राजनयिक एक दूसरे से मुलाकात कर रहे थे और इस मुद्दे पर लगातार बातचीत कर रहे थे. आपको बता दें कि पिछले साल यानी मई 2020 से पूर्वी लद्दाख से सटी 826 किलोमीटर लंबी लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी एलएसी पर चीनी सेना ने कोरोना महामारी के दौरान कई जगह पर घुसपैठ करने की कोशिश की थी. इस दौरान गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक-झड़प भी हुई थी.
सीमा पर हुए इस झड़प में भारत के 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे. चीनी सेना को भी इस झड़प में भारी नुकसान उठाना पड़ा था. इसके अलावा हॉट-स्प्रिंग, गोगरा और फिंगर एरिया में भी चीनी सैनिकों ने घुसपैठ करने की कोशिश की. फिंगर-एरिया 4 से फिंगर 8 तक चीनी सेना ने पहली बार कब्जा कर अपने सैनिकों के बैरक, ट्रेंच और हेलीपैड तक तैयार कर लिया. इसे लेकर भी दोनों देशों के सैनिकों के बीच 5-6 मई को झड़प देखने को मिला था.
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