भारत-चीन सीमा विवाद: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज संसद में दे सकते हैं बयान
भारत-चीन गतिरोध को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज संसद में बयान दे सकते हैं. विपक्षी पार्टियां गतिरोध को लेकर चर्चा की मांग कर रही है.
नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच तनाव जारी है. विपक्षी पार्टियां सरकार से इस मसले पर संसद में चर्चा कराए जाने की मांग कर रही है. इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास जारी गतिरोध को लेकर संसद में बयान दे सकते हैं. संसदीय सूत्रों ने यह जानकारी दी.
राजनाथ सिंह ने हाल ही में मॉस्को में चीन के रक्षा मंत्री वेई फेंगहे के साथ बैठक की थी. इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर की चीन के विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात हुई थी. जयशंकर और वांग यी के बीच हुई बैठक में गतिरोध को खत्म करने के लिए पांच सूत्रीय योजना पर सहमति बनी थी.
कांग्रेस कर रही है चर्चा की मांग
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भारत-चीन सीमा पर तनाव के मुद्दे को उठाने का प्रयास किया लेकिन स्पीकर ने उनसे इस विषय को कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में उठाने को कहा.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह एक ‘‘संवेदनशील’’ मुद्दा है और इसे गंभीरता के साथ उठाया जाना चाहिए . इस विषय को बीएससी में रखें .
अधीर रंजन चौधरी का कहना था, ‘‘ मैं सरकार और रक्षा मंत्री का ध्यान ऐसे मुद्दे की ओर दिलाना चाहता हूं जो कई महीनों से हमारे सामने है . देश के लोग सीमा की स्थिति को लेकर चिंतित हैं .’’
उन्होंने कहा कि आज ऐसी खबरें आई हैं कि चीन हमारे यहां नजर रख रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हम इस विषय पर चर्चा कराने की मांग करते हैं.’’
तनाव बरकरार भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के सीमा पर लंबे समय से चल रहे गतिरोध के समाधान के लिये पांच सूत्रीय योजना पर सहमत होने के बावजूद पूर्वी लद्दाख के गतिरोध वाले बिंदुओं पर स्थिति में कुल मिलाकर कोई बदलाव नहीं है. सूत्रों ने यह जानकारी दी.
सूत्रों ने यह भी कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीनी सैनिक अपनी-अपनी जगह पर मजबूती से कायम हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीनी सैनिकों की तरफ से कोई नई हलचल नहीं दिखी है.
सूत्रों ने कहा कि भारतीय सेना अपनी चौकसी में कमी नहीं करेगी और जब तक जमीनी स्थिति में वास्तविक बदलाव नजर नहीं आता तब तक पूर्वी लद्दाख में बेहद उच्च स्तरीय युद्धक चौकसी की मौजूदा स्थिति बरकरार रखी जाएगी.
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