नई दिल्लीः भारत-चीन सीमा विवाद पर भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह उम्मीद करता है कि चीन पूर्वी लद्दाख में ‘पूर्ण रूप से पीछे हटने और तनाव की समाप्ति ’ सुनिश्चित करने के लिये गंभीरता से काम करेगा जैसा कि पिछले महीने दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने निर्णय किया था .


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि पिछले महीने सीमा मुद्दे पर दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों ने बात की है. उन्होंने बताया कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच 5 जुलाई 2020 को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों के पूर्ण रूप से पीछे हटाने को लेकर टेलीफोन पर हुई बातचीत का जिक्र कर रहे थे.


जल्द होगी पूर्ण रूप से शांति बहाली 


अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘दोनों विशेष प्रतिनिधियों ने इस बात पर सहमति व्यक्त की थी कि द्विपक्षीय समझौते और प्रोटोकाल के अनुरूप वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जल्द एवं पूर्ण रूप से पीछे हटना, भारत चीन सीमा क्षेत्रों में तनाव समाप्त करना तथा पूर्ण रूप से शांति बहाली द्विपक्षीय संबंधों के सहज सम्पूर्ण विकास के लिये जरूरी है.’’ उन्होंने कहा कि भारत इस उद्देश्य के लिये प्रतिबद्ध है.


पीछे हटेगी चीनी सेना


उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में ‘पूर्ण रूप से पीछे हटने, तनाव समाप्त करने’ तथा पूर्ण रूप से शांति बहाली सुनिश्चित करने के लिये गंभीरता से काम करेगा.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, चीन के कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के परिचालन की समीक्षा कर रहा है, उन्होंने कहा कि सरकार ने ऐसे केंद्रों के लिये कुछ विशिष्ट दिशानिर्देश तैयार किये हैं और संकेत दिया कि इन मानदंडों के उल्लंघन पर कार्रवाई हो सकती है.


उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय ने 2009 में विदेशी सांस्कृतिक केंद्रों की स्थापना और कामकाज को लेकर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किये थे और ये दिशानिर्देश ऐसे किसी भी सांस्कृतिक केंद्र पर लागू होते हैं जो स्वायत्त विदेशी संगठन द्वारा प्रायोजित हो जिसमें कंफ्यूशियस केंद्र भी शामिल है.


कंफ्यूशियस इंस्टीट्यूट आफ इंडिया के परिचालन की समीक्षा


श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इन दिशानिर्देशों के तहत ऐसे केंद्र अगर किसी भारतीय संस्था के साथ एमओयू या समझौता करते हैं तब इसके लिये विदेश मंत्रालय की अनुमति जरूरी होती है. स्वाभाविक तौर पर अगर किसी भारतीय संस्था को ऐसी किसी व्यवस्था में शामिल होना होता है, तब वे इन दिशानिर्देशों के दायरे में आते हैं . तब उन्हें सरकार से मंजूरी की जरूरत होती है.’’ प्रवक्ता ने कहा कि और अगर ऐसे केंद्र स्थापित करते समय मंजूरी नहीं ली जाती है तब यह दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं होगा .


गौरतलब है कि एलएसी पर चीन के आक्रामक रवैये के बाद भारत ने चीनी उद्यमों के खिलाफ कई तरह के कदम उठाये हैं . जून में सरकार ने चीन के 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया था.



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