नई दिल्ली: चीन के साथ लद्दाख में चल रहे गतिरोध के बीच, भारतीय नौसेना और जापानी समुद्री आत्मरक्षा बलों (JMSDF) ने हिंद महासागर में एक संयुक्त युद्धाभ्यास किया. शनिवार को संपन्न हुए इस अभ्यास को जापान के रक्षा मंत्री तारो कोनो के उस बयान के बाद आयोजित किया गया था, जिसमें न केवल चीन की रक्षा क्षमताओं पर बल्कि भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन की मंशा पर चिंता व्यक्त की गई थी. पिछले कुछ महीनों में एशिया के कुछ हिस्सों में बीजिंग की आक्रामक मुद्रा के बाद जापान का यह पहला ऐसा बयान था.


भारत-जापान रक्षा अभ्यास के साथ, दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) ने एक बयान दिया कि दक्षिण चीन सागर विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप हल किया जाना चाहिए, जो "गैर-सैन्यीकरण और आत्म-संयम के महत्व पर जोर देता है." रक्षा साझेदारी को व्यापक बनाने के दिल्ली और टोक्यो के प्रयासों के बाद पिछले तीन सालों के दौरान जेएमएसडीएफ और भारतीय नौसेना के बीच यह 15 वां प्रशिक्षण अभ्यास था.


 





अभ्यास में चार युद्धपोत शामिल थे. जिसमें दो भारत के और दो युद्धपोत जापान के थे. भारतीय नौसेना के प्रशिक्षण पोत- आईएनएस राणा और आईएनएस कुलुश, जापानी नौसेना के जेएस काशिमा और जेएस शिमायुकी के साथ अभ्यास में शामिल थे. साल 2000 के बाद से, JMSDF दुनिया की चौथी सबसे बड़ी नौसेना है. जापानी जल में चीन के क्षेत्रीय दावों के बीच पिछले कुछ सालों में जापान अपने बेड़े में लगातार वृद्धि कर रहा है.


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