Explained: गलवान घाटी हिंसा के बाद 14 दौर की वार्ता, फिर भी नहीं थमा गतिरोध... जानें 15 जून को कैसे चीन ने किया था विश्वासघात
India China Standoff: 15 जून 2020 को गलवान घाटी संघर्ष के दौरान भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हो गए थे. चीन के भी कई सैनिक मारे गए थे. दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता हुई है लेकिन गतिरोध बरकरार है.
India-China Talks: भारत और चीन के बीच सीमा सहित कई मसलों पर विवाद अब तक बरकरार है. दोनों देशों के बीच कई दौर की वार्ता के बावजूद दोनों में मतभेद कम नहीं हुए हैं. लद्दाख की सुदूर गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारतीय (Indian Army) और चीनी सैनिकों (PLA) के बीच झड़प के दो साल बाद भी दोनों देश वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को कम करने के लिए बातचीत कर रहे हैं, लेकिन 25 महीने से जारी गतिरोध का समाधान कहीं नजर नहीं आ रहा है.
हालांकि चीन और भारत दोनों इस बात से सहमत हैं कि चल रही बातचीत से सभी मतभेदों को दूर करने में मदद मिलेगी. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के जवानों ने साल 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में घुसपैठ की थी. इसके बाद से ही LAC पर भारत और चीन के बीच गतिरोध और बढ़ गया.
14 दौर की वार्ता से क्या निकला समाधान?
गतिरोध को हल करने के लिए भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) ने अब तक कोर कमांडरों के बीच 15 दौर की बातचीत की है. इनमें से 14 दौर की वार्ता गलवान घाटी झड़प के बाद हुई है. इन वार्ताओं से वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर कुछ लड़ाई वाली जगहों से प्रतिद्वंद्वी सैनिकों को हटाने में आंशिक सफलता मिली है. एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि 15 जून, 2020 को गलवान संघर्ष एलएसी के साथ पांच दशकों में पहली घातक झड़प थी, और इसने जो विश्वास की कमी पैदा की, वह चल रही बातचीत को जारी रखे हुए है.
कई दौर की वार्ता के बीच गतिरोध जारी
गलवान घाटी संघर्ष के दौरान 20 भारतीय सैनिक और कई चीनी सैनिक मारे गए थे. हालांकि कितनी संख्या में चीनी सैनिक मारे गए ये अज्ञात ही है. अधिकारी ये मानते हैं कि जब तक बातचीत चल रही है तब तक गतिरोध को दूर करने को लेकर कुछ आगे बढ़ने की उम्मीद की जा सकती है.
भारत और चीन ने LAC गतिरोध पर 31 मई को राजनयिक वार्ता के एक और दौर में ज्यादा प्रगति नहीं की है. हालांकि सैन्य कमांडरों की 16वीं बैठक जल्द होने की उम्मीद जताई जा रही है.
पूर्व सैन्य अधिकारी डीएस हुड्डा ने क्या कहा?
पूर्व सैन्य अधिकारी लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) डीएस हुड्डा ने गलवान घाटी संघर्ष को लेकर कहा कि इस घटना से एक अहम सबक ये है कि जब बड़ी संख्या में सैनिकों का एक दूसरे के खिलाफ आमना-सामना होता है और विश्वास निर्माण के उपाय टूट जाते हैं तो संघर्ष की संभावना बढ़ जाती है, भले ही इसका इरादा न हो. डीएस हुड्डा ने आगे कहा कि चीन से तनाव कम करने की प्रक्रिया पर आगे नहीं बढ़ने से कुछ स्थानीय झड़प का खतरा बना हुआ है.
15 जून 2020 को क्या हुआ था?
15 जून 2020 को चीन ने विश्वासघात किया था. इस दिन चीन और भारत के सैनिकों के बीच भीषण झड़प हो गई थी. जिसमें भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे. इसमें भारी संख्या में चीनी सैनिक भी मारे गए थे. हालांकि चीन ने मारे गए अपने सैनिकों की सही संख्या नहीं बताई थी. ऐसा माना गया कि गलवान संघर्ष एलएसी के साथ 5 दशकों में पहली घातक झड़प थी. इस घटना के बाद दोनों देशों की सेना के बीच विश्वास की और कमी हो गई. इस झड़प के बाद जुलाई महीने में चीनी सैनिक गलवान घाटी से पीछे हट गए थे.
LAC पर भारत और चीन का रूख?
भारत-चीन (India-China) के बीच कई दौर की वार्ता के बाद समस्या का समाधान नहीं निकल पाया है. पिछले दो सालों में भारत और चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर अपना सख्त रूख अख्तियार किया हुआ है. सीमा के दोनों ओर सैन्य गतिविधियों में इजाफा हुआ है. आधुनिक हथियारों की तैनाती, बुनियादी ढांचे के विकास और सेनाओं की ओर से युद्धाभ्यास का काम लगातार जारी है. हालांकि सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने हाल ही में कहा था कि भारतीय सेना का मकसद PLA के साथ विश्वास और शांति को फिर से बहाल करना है लेकिन ये एकतरफा मामला नहीं हो सकता है. गतिरोध को खत्म करने के लिए चीन (China) को भी इसके लिए बेहतर पहल करने की जरूरत है.
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