भारत और चीनी सैनिकों के बीच अरुणाचल प्रदेश के तवांग में विवादित LAC पर 9 दिसंबर को एक बार फिर झड़प हुई है. भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने संसद को बताया कि चीनी सैनिक 9 दिसंबर को घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे. भारतीय सैनिकों ने उसे रोका, जिसपर दोनों के बीच हाथापई हुई.
हिंसक झड़प के बाद चीन ने बयान जारी कर कहा है कि सीमा पर हालात स्थिर है. 30 महीने पहले भी लद्दाख के गलवान में हिंसक झड़प हुई थी. 1962 में भारत-चीन युद्ध विराम के बाद यह छठवीं बार है, जब दोनों देश के सैनिकों के बीच हिंसक टकराव हुआ है.
LAC पर कब-कब हुई हिंसक झड़पें?
1. नाथु ला दर्रा (1967)- 1962 युद्ध के 5 साल बाद ही चीन ने सिक्किम के नाथु ला दर्रा में हमला कर दिया. भारतीय सैनिक उस वक्त नाथु ला से सेबू ला तक तार लगाकर बॉर्डर की मैपिंग कर रही थी.
दोनों देशों के सैनिकों के बीच करीब 20 दिन तक यह लड़ाई चली थी. इस लड़ाई में भारत के करीब 80 सैनिक शहीद हुए. चीन को इसमें भारी नुकसान हुआ और उसके करीब 400 सैनिक मारे गए.
2. तुलुंग (1975)- अरुणाचल के तुलुंग में असम राइफल्स के जवान गश्ती कर रहे थे. इसी दौरान चीन ने हमला कर दिया. भारतीय जवानों ने भी चीन के इस हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया. हालांकि, इस हिंसा में 4 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे.
रिपोर्ट के मुताबकि तुलुंग ला के पास LAC के 500 मीटर अंदर चीनी सैनिकों ने उस वक्त पत्थर गाड़ दिए थे, जिसे हटाने असम राइफल्स के जवान पहुंचे थे. उसी दौरान घात लगाकर चीन ने फायरिंग कर दी. LAC सीमा पर गोलीबाजी की यह अंतिम घटना थी.
3. तवांग (1987)- चीन में उस वक्त ली जिनियांग सत्ता में थे और चीन विस्तारवाद के रास्ते पर चलने की तैयारी कर रहा था. ऐसे में अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों की सैनिकों में टकराव हो गया.
भारत ने पहले से यहां जवानों की तैनाती कर रखी थी. तवांग के आसपास गोरखा राइफल्स के करीब 200 जवान तैनात किए गए थे. भारत ने टकराव के हालात को देखते हुए MI-26 हेलिकॉप्टर भी तैनात कर दिया था.
करीब 9 महीने तक बॉर्डर पर दोनों देशों के बीच तनाव जारी रहा. भारत ने इस दौरान अरुणाचल को पूर्ण राज्य का दर्जा भी दे दिया. मई 1987 में बीजिंग में दोनों देशों के विदेश मंत्री की बैठक के बाद हालात स्थिर हुए.
4. डोकलाम (2017)- डोकलाम के पहाड़ पर चीन, भारत और भूटान की सीमा मिलती है. 18 जून 2017 को 300 भारतीय सैनिकों ने चीन को सड़क बनाने से रोक दिया. इसके बाद करीब 75 दिनों तक यहां विवाद की स्थिति बनी रही.
इस दौरान कई बार जंग जैसे हालात भी बने, मगर भारतीय सैनिक सीमा पर डटे रहे. आखिर में समझौते के तहत अगस्त 2017 में दोनों देशों ने अपनी सेनाएं पीछे हटाने का फैसला लिया.
5. गलवान (2020)- लद्दाख के गलवान में 15 जून को भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. करीब 8 घंटे तक चले इस खूनी टकराव में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए.
ऑस्ट्रेलिया की न्यूज साइट 'द क्लैक्सन' की इन्वेस्टिगेटिव रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसा में चीन के 38 जवान मारे गए. हालांकि, चीन ने सिर्फ 4 जवान के मौत की पुष्टि की.
6. तवांग (2022)- तवांग में 9 दिसंबर को भारत और चीनी सैनिकों के बीच झड़प हुई. इसमें 6 भारतीय सैनिक घायल हुए हैं. हांगकांग मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस हिंसक टकराव में चीन के 20 जवान भी घायल हुए हैं.
चीन से विवाद क्यों, 3 प्वाइंट्स...
- गलवान-पैंगोंग झील के इलाके में दोनों देश के बीच बॉर्डर तय नहीं. चीन मैकमोहन लाइन को नहीं मानता है.
- भारत-चीन के बीत 3448 KM की जमीनी सीमा है, जिस पर हदबंदी नहीं की गई है. पेट्रोलिंग के दौरान टकराव होता है.
- अरुणाचल को चीन तिब्बत का पार्ट मानता है, भारत अक्साई चीन को अपना बताता है. इसलिए दोनों देश में टकराव की स्थिति.
चीन की विस्तार नीति, भारत को घेरने के लिए 2 प्लान...
1. सीमा पर ब्रिज का निर्माण- पैंगोंग झील के पास चीन 400-400 मीटर का 2 ब्रिज निर्माण कर रहा है. सैटेलाइट इमेज से इसी साल इसका खुलासा हुआ था. चीन इस पुल का निर्माण उन इलाकों में कर रहा है, जहां करीब 60 साल से उसका अवैध कब्जा है.
8 फीट चौड़े इस पुल के निर्माण होने के बाद चीन सैनिकों की छोटी गाड़ियां आसानी से आ और जा सकती है. पैंगोंग झील के पास भी चीन से भारत का विवाद है.
(Source- MAXAR)
2. नो मेंस लैंड पर सैनिकों ने तंबू गाड़े- नो मेंस लैंड का मतलब होता है- दो देशों के बीच विवादित जमीन. रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने करीब 1000 किमी नो मेंस लैंड पर कब्जा कर लिया है. इन जमीनों पर चीनी सैनिकों ने तंबू गाड़ दिए. साथ ही चीन ने अरुणाचल से सटे कई गांवों के नाम भी बदल दिए.
आखिर बार-बार हरकत क्यों कर रहा चीन?
1. शी जिनपिंग ने तीसरी बार सत्ता हासिल करने के साथ ही विस्तारवाद का बिगुल फूंक दिया. 63 पन्नों की वर्क रिपोर्ट में शी ने चीनी सेनाओं के लिए लक्ष्य तय कर रखा है. इसमें पीएलए के केंद्रीय लक्ष्य को हासिल करना और राष्ट्रीय रक्षा, सेना का और आधुनिकीकरण करना शामिल है.
2. ताइवान के मुद्दे पर चीन पूरी दुनिया में बुरी तरह घिर चुका है. इसलिए मुद्दे को डायवर्ट करने के लिए बार-बार भारतीय सीमा पर विवाद खड़ा करने की कोशिश कर रहा है.