India US Deal Fix: भारतीय नौसेना और रक्षा बलों की सर्विलांस क्षमताएं और भी ज्यादा मजबूत होने वाली है. सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने स्वदेशी रूप से दो परमाणु सबमरीन और अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने के लिए बड़े सौदे को मंजूरी दे दी है. इसमें भारतीय नौसेना को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली दो हमलावर सबमरीन मिलेंगी, जो हिंद महासागर क्षेत्र में सेना की क्षमताओं को कई गुना बढ़ाने में मदद करेंगी.
विशाखापटनम में शिप बिल्डिंग सेंटर में दो सबमरीन के निर्माण की ये डील लगभग 45,000 करोड़ रुपये का होगी और इसमें लार्सन एंड टूब्रो जैसी निजी क्षेत्र की फर्मों की प्रमुख भागीदारी होगी. यह डील काफी लंबे समय से होल्ड पर थी. भारतीय नौसेना इस पर जोर दे रही थी क्योंकि यह देश के लिए पानी के नीचे की क्षमता की कमी को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता थी. भारत की काफी लंबे समय से योजना है कि उसके पास ऐसी छह सबमरीन हो.
जल्द होंगे हस्ताक्षर
इस एडवांस्ड टेक्नोलॉजी वेसल प्रोजेक्ट के तहत बनने जा रही ये सबमरीन उसी स्थान पर अरिहंत श्रेणी के तहत बनाई जा रही पांच परमाणु सबमरीन से अलग हैं. सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी की ओर से आज मंजूर की गई दूसरी बड़ी डील दोनों सरकारों के बीच विदेशी सैन्य बिक्री अनुबंध के तहत अमेरिकी जनरल एटॉमिक्स से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की है. इस सौदे को 31 अक्टूबर से पहले मंजूरी मिलनी थी क्योंकि अमेरिकी प्रस्ताव की वैधता उस समय तक थी और अब इस पर अगले कुछ दिनों में ही हस्ताक्षर होने जा रहे हैं.
कितने-कितने मिलेंगे ड्रोन
अनुबंध के अनुसार, रक्षा बलों को सौदे पर हस्ताक्षर करने के चार साल बाद ड्रोन मिलने शुरू हो जाएंगे. भारतीय नौसेना को 31 में से 15 ड्रोन मिलेंगे जबकि सेना और भारतीय वायु सेना को आठ-आठ ड्रोन मिलेंगे और उन्हें उत्तर प्रदेश में दो ठिकानों पर एक साथ तैनात किया जाएगा. वहीं डीआरडीओ और निजी क्षेत्र की कंपनी सोलर इंडस्ट्रीज की ओर से बनाए गए भारतीय उपकरणों का इस्तेमाल 31 ड्रोन पर मेक इन इंडिया तत्व के रूप में किया जा सकता है, जिनसे शांतिकालीन निगरानी में गेम चेंजर होने की उम्मीद है.
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