नई दिल्ली: सरकार ने दिसंबर तक देश के हर व्यस्क नागरिक के टीकाकरण का टारगेट रखा है. लेकिन वैक्सीनेशन जिस रफ्तार से चल रहा है उस हिसाब से ये टारगेट पूरा होता हुआ नहीं दिख रहा. इस बीच दुनिया में तीसरी लहर की शुरुआत ने चिंता बढ़ा दी हैं.
16 जनवरी से देश में पहली बार कोरोना टीकाकरण अभियान की शुरुआत हुई थी. 6 महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है लेकिन अबतक वैक्सीन की सिर्फ 40 करोड़ डोज लगाई गई है. इसीलिए सवाल उठ रहे हैं कि दिसंबर तक देश में सभी लोगों के वैक्सीनेशन का मिशन पूरा होगा कैसे?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 16 जुलाई तक केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 41 करोड़ 10 लाख वैक्सीन डोज दी है. जिसमें से 38 करोड़ 39 लाख 2 हजार 614 वैक्सीन डोज इस्तेमाल हो चुकी है इसमें मेडिकल वेस्टेज भी शामिल है. राज्यों के पास अभी 2 करोड़ 51 लाख वैक्सीन डोज मौजूद है.
कई राज्यों के पास वैक्सीन की कमी
एक सच ये भी है कि कई राज्यों के पास वैक्सीन की कमी है, इसलिए या तो वो टीकाकरण को रोक रहे हैं या फिर सिर्फ दूसरी डोज लगा रहे हैं. राज्यों का आरोप है कि वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार की जिम्मेदार केंद्र सरकार की है. क्योंकि उसी के रास्ते से चलकर वैक्सीन उनके दरवाजे तक पहुंचती है, हालांकि केंद्र सरकार की दलील कुछ और है.
नीति आयोग के सदस्य वीके पॉल ने कहा, ''वैक्सीन की सूचना राज्यों के साथ उपलब्धता, प्रोडक्शन और सप्लाई को उनके सामने चिन्हित किया जाता है एक्सप्लेन करके प्लानिंग की जाती है. राज्यों को पता होता है की कितनी वैक्सीन आनेवाली है कौन सी वैक्सीन आनेवाली है इसी के आधार पर प्लानिंग होनी चाहिए. ये 100 मीटर की रेस नहीं है ये एक लंबी देर तक चलनेवाली जर्नी है और जैसे जैसे वैक्सीन बनती है बिना देरी करें वैक्सीन लोगों को लगे ये कोशिश होती है.''
केंद्र का टारगेट
हाल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया गया है कि 31 जुलाई तक 51.6 करोड़ टीके लोगों को लगाए जा चुके होंगे. वहीं सरकार अगस्त से दिसंबर के बीच 135 करोड़ कोविड वैक्सीन की खरीद करेगी. इसमें 50 करोड़ कोविशील्ड, 40 करोड़ कोवैक्सीन, 30 करोड़ बायो ई, 10 करोड़ स्पुतनिक-वी और 5 करोड़ जाइडस कैडिला DNA वैक्सीन शामिल है. कोवैक्सीन और कोविशील्ड को छोड़ दें तो बाकी की वैक्सीन अभी तक तकनीकी पेच में फंसी है.
जाइडस कैडिला को अबतक ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया से इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन नहीं मिला है. वहीं जिस बायोलॉजिकल-ई से सरकार ने एडवांस में 30 करोड़ डोज खरीदी है उसका तीसरे चरण का ट्रायल खत्म नहीं हुआ है. स्पुतनिक वैक्सीन अभी तक इंपोर्ट हो रही है पर उतनी संख्या में नहीं कि भारत की जरूरतों को पूरा कर सके, हालांकि जल्द इसका निर्माण देश मे होगा.
मॉडर्ना की वैक्सीन को इमरजेंसी यूज ऑथराइजेशन मिल चुकी है लेकिन भारत में अबतक वैक्सीन आई नहीं है और कब तक आएगी ये भी साफ नहीं. सबसे बड़ी बात तो ये है कि वैक्सीन बनने के बाद की प्रक्रिया भी लंबी होती है. क्योंकि CDL लैब कसौली से बैच क्लियर होने के बाद ही वैक्सीन टीकाकरण के लिए मिलती. इसलिए दवा के बनने और उसके टीकाकरण के लिए उपलब्ध होने में अंतर होता है.
अब तक के हालात को देखते हुए दिसंबर तक भारत की पूरी वयस्क आबादी का कैसे टीकाकरण होगा ये कहना मुश्किल है. हालांकि सरकार को उम्मीद है कि अगस्त के बाद हालात ठीक होंगे और टीकाकरण का टारगेट समय पर पूरा होगा.
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