Salman Rushdie: सलमान रुश्दी पर हमले की भारत ने की निंदा, कहा- हम हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहे हैं
Salman Rushdie News: सलमान रुश्दी पर हुए हमले के प्रकरण में भारत ने गुरुवार को अपनी पहली प्रतिक्रिया दी है. हमले की निंदा करते हुए कहा गया है कि भारत हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहा है
Salman Rushdie Attacked: मिडनाइट्स चिल्ड्रेन और सेटेनिक वर्सेस उपन्यास लिखने वाले मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हुए हमले के मामले में भारत ने प्रतिक्रिया दी है. गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि भारत हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहा है. भारत इस भयावह हमले की निंदा करता है. साथ ही रुश्दी के जल्द स्वस्थ होने की कामना भी करता है. दरअसल, सलमान रुश्दी पर 12 अगस्त को पश्चिमी न्यूयॉर्क के चौटाउक्का संस्थान में हमला हुआ था. वह अपना व्याख्यान शुरू करने जा ही रहे थे कि एक व्यक्ति ने उनके गले पर चाकू से वार कर दिया.
इस हमले की पूरे विश्व में निंदा की गई. रुश्दी के उपन्यास ‘दि सेटेनिक वर्सेज’ के प्रकाशन के बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला रूहोल्ला खोमेनेई ने 1989 में उन्हें मारने के लिए फतवा जारी किया था. इस कारण रुश्दी दस साल तक अज्ञातवास में भी रहे हैं. दुनिया के विभिन्न मुसलमानों ने उपन्यास को ईश निंदा के तौर पर देखा. यह उपन्यास भारत में भी प्रतिबंधित किया गया. रूश्दी पर हमला करने वाले की पहचान 24 वर्षीय हादी मतार के रूप में हुई है. हादी मतार ने यह हमला सलमान रुश्दी की विवादित किताब द सेटेनिक वर्सेज (The Satanic Verses) के चलते किया. 1980 के दशक से ही सलमान रुश्दी को इस किताब के चलते जान से मारने की धमकियां मिलती रही हैं.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को मीडियाकर्मियों से कहा, ‘‘ भारत हमेशा से हिंसा और कट्टरपंथ के खिलाफ रहा है. हम सलमान रुश्दी पर हुए भयावह हमले की निंदा करते हैं. साथ ही उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना भी करते हैं.’’ सलमान रुश्दी की किताब दि सेटेनिक वर्सेज 1980 से ही विवाद में आ गई थी. ईरानी सरकार (Iran Government) ने उनके लिए फतवा जारी किया था. पुस्तक छपने के बाद भारत में इसे प्रतिबंधित किया गया. 1988 में बांग्लादेश, सूडान और दक्षिण अफ्रीका में भी पुस्तक पर प्रतिबंध लगा. दिसंबर 1988 तक श्रीलंका में भी यह किताब प्रतिबंधित हुई. मिस्र के ग्रैंड शेख अल-अजहर ने ब्रिटेन में इस्लामी संगठनों से उपन्यास के वितरण को रोकने के लिए कानूनी कार्रवाई करने का आह्वान किया. फिर इस उपन्यास को पाकिस्तान में प्रतिबंध लगा. सऊदी अरब, मिस्र, सोमालिया, बांग्लादेश, सूडान, मलेशिया, इंडोनेशिया और कतर में किताब के छपने के हफ्तों के भीतर प्रतिबंध लागू कर दिया गया था.
यह है किताब का पूरा विवाद
सलमान रुश्दी द्वारा लिखी गई ‘द सेटेनिक वर्सेज, वर्ष 1988 में प्रकाशित हुई थी. इसके लिए रुश्दी पर पैगंबर मोहम्मद के अपमान का आरोप लगा. किताब का शीर्षक एक विवादित मुस्लिम परंपरा के बारे में है. इस परंपरा के बारे में रुश्दी ने अपनी किताब में खुलकर लिखा. इसीलिए यह पुस्तक विभिन्न मुस्लिम देशों में बैन हुई. रुश्दी ने अपनी इस पुस्तक में जादुई यथार्थवाद का उपयोग किया है और समकालीन घटनाओं और समकालीन लोगों को इस उपन्यास का पात्र बनाया है. इस पुस्तक के नाम में कुरान की उन आयतों को "शैतानी आयतें" कहा गया है. जो मक्का की तीन देवियों अल-लात, मनात और अल-उज़्ज़ा से संबंधित हैं. "शैतानिक छंद" से संबंधित कहानी का हिस्सा इतिहासकार अल-वकिदी और अल-ताबारी के खातों पर आधारित था. जबकि इस पुस्तक को इंग्लैंड में सराहना भी मिली. सलमान रश्दी के उन्यास द सेटेनिक वर्सेज को सकारात्मक समीक्षा मिली तो 1988 बुकर प्राइज फाइनलिस्ट में और उस वर्ष के बेहतरीन उपन्यास के लिए 1988 व्हिटब्रेड अवार्ड भी दिया गया. इसके बाद इस किताब पर इतना विवाद हुआ कि मुसलमानों ने इसे ईश निंदा और उनके विश्वास का मजाक बनाने का आरोप लगाया. फतवा जारी होने के चलते रुश्दी दस साल तक अज्ञातवास में भी रहे हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने दिया यह बयान
मशहूर लेखक सलमान रुश्दी पर हमले के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन ने अपना बयान जारी किया था. उन्होंने बयान में कहा था कि ईरान के सरकारी संस्थानों ने रुश्दी के खिलाफ हिंसा को उकसाया. क्योंकि सलमान रुश्दी हमेशा सर्वभौम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये खड़े होते रहे हैं.
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