श्रीलंका में महंगाई चरम पर है. श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गया है. लोगों का घर में बैठना भी मुहाल है क्योंकि 13-13 घंटे बिजली की कटौती हो रही है. इस हालात के खिलाफ लोगों का गुस्सा फूट रहा है. नागरिक अपनी बुनियादी जरुरतों के लिए सड़क पर आ गए हैं. वो सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. श्रीलंका की ऐसी बदहाली पर शिवसेना नेता संजय राउत ने भारत को चेताया है.
संजय राउत ने कहा, "श्रीलंका की परिस्थिति बहुत चिंताजनक है. भारत भी उसी मोड़ पर है. हमें इस परिस्थिति को संभालना होगा नहीं तो श्रीलंका से भी ज़्यादा खराब स्थिति हमारी हो सकती है.'
श्रीलंका में तंगहाली कैसे?
श्रीलंका के दिवालिया होने में सरकार की गलत नीतियां सबसे ज्यादा जिम्मेदार है. जिसमें एक बड़ी गलती जनता को लुभाने के लिए मुफ्त का खेल भी है, ये खेल भारत में भी तेजी से पनप रहा है.
- श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर काफी निर्भर थी
- कोरोना के कारण पर्यटकों की कमी के बुरा असर हुआ
- भ्रष्टाचार पर सरकार ने लगाम नहीं लगाई
- रासायनिक उर्वरक पर पाबंदी से उत्पादन गिर गया
- अनाज उत्पादन घटने से महंगाई बढ़ गया
- पर्यटकों और उत्पादन की कमी से विदेशी मुद्रा भंडार खाली हो गया
- चीन से कड़ी शर्तों पर लिया कर्ज ने बेडा गर्क किया
- नाराज जनता को लुभाने के लिए फ्री की स्कीम ने दिवालिया कर दिया
बता दें, श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर के कर्ज का बोझ है. चीन का श्रीलंका के ऊपर 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है. भारत और जापान जैसे देशों के अलावा आईएमएफ (IMF) एशियन डवलैपमेंट बैंक जैसे संस्थानों का भी लोन उधार है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल 2021 तक श्रीलंका के ऊपर कुल 35 बिलियन डॉलर का विदेशी कर्ज था, जो अब 51 अरब डॉलर पर पहुंच चुका है.
श्रीलंका के कुल कर्ज का -
- 47 प्रतिशत बाजार से लिया गया कर्ज
- 2 प्रतिशत भारत का कर्ज
- 13 प्रतिशत एशियन डवलैपमैंट बैंक
- 10 प्रतिशत चीन
- 10 प्रतिशत जापान
- 9.9 प्रतिशत वल्ड बैंक
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