प्याज़ की क़ीमत में अभी कम से कम 15 दिनों तक किसी राहत की उम्मीद नहीं है. प्याज़ की सप्लाई की दिक्कत को दूर करने के लिए आयात होने वाले प्याज़ को देश पहुंचने में वक़्त लग सकता है, जिसके चलते प्याज़ की कीमत आसमान पर रहेगी.


6090 मीट्रिक टन प्याज़ आयात का ऑर्डर


प्याज़ की कीमत में आसमानी उछाल उसकी सप्लाई में कमी के कारण है, इसलिए केंद्र सरकार ने कैबिनेट की बैठक में 1.2 लाख मीट्रिक टन प्याज़ आयात करने का फ़ैसला किया था. उसी फ़ैसले के मद्देनज़र अब सरकारी व्यापार कम्पनी एमएमटीसी ने 22 नवम्बर को 6090 मीट्रिक टन प्याज़ आयात का ठेका दिया है. उपभोक्ता मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक मिश्र से प्याज़ के आयात का ऑर्डर दिया गया है लेकिन वहां से आयात होने वाले प्याज़ को नावा शेवा बंदरगाह (मुम्बई) पहुंचने में कम से कम 15 दिनों का समय लग सकता है. मतलब ये हुआ कि प्याज दिसम्बर के पहले हफ़्ते में ही भारत पहुंच पाएगा. तबतक इसकी क़ीमत जस की तस बनी रह सकती है.


अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्याज की क़िल्लत


इस मसले पर उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव अविनाश कुमार श्रीवास्तव ने सभी राज्यों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के ज़रिए बैठक की. बैठक में सभी राज्यों से प्याज़ की मांग का ब्यौरा मांगा गया ताकि आयात कर प्याज़ की सप्लाई सुनिश्चित की जा सके. अबतक पश्चिम बंगाल, ओडिसा, केरल और सिक्किम जैसे चंद राज्यों ने ही अपना ब्यौरा भेजा है और इन राज्यों से 2275 मीट्रिक टन प्याज़ की ही मांग आई है. प्याज़ की मांग करने वाले राज्यों में दिल्ली शामिल नहीं है. इस बीच मंत्रालय के सामने एक और चुनौती भी खड़ी हो गई है. सूत्रों के मुताबिक़ एमएमटीसी को 15000 मीट्रिक टन प्याज़ आयात करने को कहा गया है लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी प्याज़ की किल्लत है और जो प्याज़ उपलब्ध भी है उसकी क़ीमत भारत से भी ज़्यादा है, यानि इस प्याज़ को भारत मंगवाने पर उनकी क़ीमत घरेलू प्याज़ से भी महंगी हो जाएगी.


दिल्ली में नैफेड बेचेगी प्याज़


उपभोक्ता मंत्रालय के सचिव ने बाकी राज्यों से तुरन्त अपने यहां प्याज़ की मांग का ब्यौरा देने के लिए राज्यों को पत्र लिखा है. आयात होने वाले प्याज़ को एमएमटीसी दो दरों पर राज्यों को मुहैया करवाएगी. दिल्ली में जहां ये 60 रुपए प्रति किलो तो मुम्बई में क़रीब 54 रुपए किलो की दर पर मुहैया करवाया जाएगा. हालांकि, ख़ुदरा बाज़ार तक पहुंचने में प्याज का दाम औसतन 15-20 रुपए प्रति किलो तक बढ़ जाता है. दिल्ली में नैफेड ने अपने और मदर डेयरी की दुकानों के ज़रिए प्याज़ बेचने का फ़ैसला किया है.


घरेलू सप्लाई कम होने से हो रही दिक्कत


उपभोक्ता मंत्रालय के सरकारी आंकड़े भी ख़ुद कहानी बयां कर रहे हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक़ ख़ुदरा बाज़ार में प्याज की औसत क़ीमत 70 रुपए बनी हुई है. मंत्रालय की वेबसाइट को ही पैमाना माने तो दिल्ली में जहां ख़ुदरा कीमत 70 रुपए प्रति किलो है वहीं मुम्बई में ये कीमत 75 रुपए प्रति किलो तक है. हालांकि, बाज़ार में असली क़ीमत सरकारी आंकड़ों से अमूमन 5-10 रुपए प्रति किलो ज़्यादा ही रहती है. उत्तर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश में तो प्याज़ के दाम 95 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. इसकी एक बड़ी वजह घरेलू प्याज़ की सप्लाई में कमी है. पिछले महीने महाराष्ट्र और राजस्थान जैसे राज्यों में बेमौसम बरसात और आंधी पानी ने प्याज़ को काफी नुकसान पहुंचाया और इसका सीधा असर प्याज़ की सप्लाई पर पड़ा.


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