नई दिल्ली: सिक्किम ब़ॉर्डर पर चीन से तनतानी के बीच चीनी मीडिया की ओर से अफवाह फैलाई जा रही है कि जर्मनी के हैंबर्ग में पीएम मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी.


जबकि सच्चाई ये है कि पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच पहले ही ऐसी कोई मुलाकात तय ही नहीं थी. भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी. पीएम मोदी और शी जिनपिंग हैंबर्ग में G-20 बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे हैं.


दावा गलत, सिर्फ दवाब बनाने के लिए ऐसी बात कर रहा चीन: सूत्र
आपको बता दें मुलाकात को लेकर चीन का दावा  सरासर गलत और झूठा है. दरअसल भारत- और चीन के बीच पहले से ऐसी कोई बातचीत तय नहीं है. भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों ने एबीपी न्यूज को बताया है कि चीन की ओर से मुलाकात न होने की बात सिर्फ दबाव बनाने के लिए कही जा रही है. इसलिए बातचीत के लिए खुशगवार माहौल की बात बेमानी है.


चीनी दूतावास का झूठा आरोप
दरअसल भारत और चीन में इस वक़्त बीते 19 दिन से भूटान की सीमा पर सिक्कम के डोकलाम इलाके को लेकर खींचतान चल रही है. डोकलाम भारत का हिस्सा है, लेकिन चीन हठधर्मिता से इसे अपना बताकर वहां सड़क निर्माण कर रहा है. भारत में चीन के दूतावास के राजनीतिक काउंसलर ने कहा है कि हमारे पास इस बात के पक्के सबूत हैं कि डोकलाम शुरू से चीन का हिस्सा रहा है, इस पर भारत कोई विवाद खड़ा न करे, हालांकि सच ये है कि डोकलाम भूटान का है.


क्या है पूरा विवाद?
विवाद शुरू हुआ जब भूटान के पास एक पहाड़ी इलाके में चीन ने सड़क बनानी शुरू की. इस पहाड़ी इलाके को चीन डोंगलांग, भूटान डोकला और भारत डोकलाम कहता है. भारत, भूटान और चीन के बीच इस इलाके में चीन सड़कों का जाल बिछाना चाहता है. चीन सड़क बनाकर कोई विकास नहीं बल्कि युद्ध के हालातों में अपने ठिकाने बना रहा है.


भूटान ने भारत से चीनी सड़क की शिकायत की तो भारत ने कड़ा एतराज जताया. जिसके बाद चीन ने आरोप लगा दिया कि भारतीय सैनिकों ने घुसैपठ की है. अब चीन धमकी दे रहा है कि अगर सैनिक वापस नहीं बुलाए तो हालात युद्ध के करीब जाएंगे.