Ministry Of Family And Health Welfare: देश में कोरोना महामारी के समय स्वास्थ्य सेक्टर चरमचा गया, हालांकि इसमें सुधार करने के कई प्रयास हुए हैं. लेकिन अभी भी मरीजों और डॉक्टरों के बीच एक गहरी खाई है जिसे फिलहाल पाट पाना मुश्किल है. स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में बताया है कि भारत में प्रति व्यक्ति के अनुपात में डॉक्टरों की संख्या काफी कम है.
सांसद कुंवर दानिश अली ने पूछा सवाल
मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक, देशभर में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं, वहीं आयुर्वेद के 5.65 लाख डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. इसके अनुसार देस में 834 लोगों पर केवल एक डॉक्टर है. दरअसल, यूपी के अमरोहा से बसपा सांसद कुंवर दानिश अली ने स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय से सवाल पूछा था कि क्या सरकार को उन रिपोर्टों की जीनकारी है जो बताती हैं कि देश में डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्य प्रोफेशनल्स की भारी कमी है? अगर ऐसा है तो इसका राज्य/ संघ राज्यक्षेत्र वार ब्यौरा क्या है?
देश में 35.14 लाख नर्सिंग कर्मी
सांसद दानिश अली के सवाल का जवाब देते हुए मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग से हसिल जानकारी के अनुसार जून 2022 की स्थिती के हिसाब से राज्य चिकित्सा परिषदों और राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग में 13,08,009 एलोपैथिक डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. इसके अलावा मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने कहा कि देश में आयुर्वेद के 5.65 लाख डॉक्टर रजिस्टर्ड हैं. वहीं देश में 35.14 लाख नर्सिंग कर्मी रजिस्टर्ड हैं.
जगजाहिर है कि देश में...
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री भारती प्रवीण पवार के जवाब देने के बाद सांसद दानिश अली ने कहा, "सरकार ने मेरे सवाल का जो जवाब दिया है, वह सच्चाई से परे है. ये जगजाहिर है कि देश में स्वास्थ्य विभाग किस हालत में है. सभी हॉस्पिटल्स में मरीजों की किस तरह लाइन लगी रहती है. मरीजों को कोई देखने वाला नहीं होता है. डॉक्टरों की कमी की वजह से मरीजों को महीनों इंतजार करना पड़ता है."
उन्होंने कहा कि डॉक्टरों की कमी होने का नतीजा ये है कि झोलाछाप डॉक्टरों को लोगों के जीवन से खिलवाड़ करने का मौका मिल रहा है. ग्रामीण इलाकों के हालात ज्यादा खराब हैं.
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