भारत-ईयू शिखर वार्ता के जरिए होगी रिश्तों को रिबूट और रिचार्ज करने की कोशिश
सूत्रों के मुताबिक उम्मीद है कि यूरोपीय संघ और भारत के बीच होने वाली इस शीर्ष संवाद के जरिए स्मार्ट सिटी, नवीन ऊर्जा, उच्च तकनीक, औद्योगिक निवेश समेत कई क्षेत्रों में साझेदारी के नए दरवाज़े खोलने पर जोर होगा.
नई दिल्ली: भारत और यूरोपीय संघ के बीच 15 जुलाई को होने वाली शिखर बैठक रिश्तों के कंप्यूटर को रीबूट और रीचार्ज करेगी. कोरोना संकट के बीच वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग के सहारे हो रही इस अहम बैठक में जहां भारत को अपने बड़े कारोबारी साझेदार योरोपीय संघ के साथ व्यापार रिश्ते मजबूत करने का मौका होगा. वहीं, इंडिया-ईयू मुक्त व्यापार समझौते व निवेश करार के लिए जारी कवायद को भी रफ्तार देने का मौका मिलेगा.
यूरोप के 27 मुल्कों के कुनबे के साथ हो रही इस बैठक में भारत को यूरोपीय संघ के इलाके में चीन का दबदबा हिलाने का भी मौका मिलेगा. महत्वपूर्ण है कि कोरोना संकट के बाद जर्मनी, फ्रांस समेत कई बड़े यूरोपीय मुल्कों में चीन से नाराज़गी के मुखर सुर सुनाई दिए हैं.
भारत और ईयू के बीच 15 जुलाई को होने वाली 15वीं शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा यूरोपीय कमीशन की प्रमुख उसरुला, योरोपीय परिषद के मुखिया चार्ल्स मिशेल और ईयू के विदेश व सुरक्षा मामलों के प्रभारी जोसेफ बोरेल मौजूद होंगे. यूरोपीय संघ में नेतृत्व परिवर्तन के बाद यह पहला भारत-ईयू संवाद है.
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक यूरोप के साथ होने वाली बैठक के दौरान भारत को अपने एक बड़े साझेदार समूह के साथ सहयोग मजबूत करने का मौका मिलेगा. खासकर ऐसे में जबकि यूरोप में सप्लाई चेन निर्भरता और एक देश विशेष से सामान के आयात को लेकर बहस चल रही है. इतना ही नहीं इस संवाद के दौरान यदि चर्चा निकलती है तो भारत यूरोपीय संघ जैसे अहम साझेदार के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा के मुद्दे पर भी तथ्य साझा कर सकता है.
गौरतलब है कि बीते दिनों क़ई देशों में चीन से होने वाले आयात पर निर्भरता को लेकर जहां प्रश्न उठे थे. वहीं, बड़ी यूरोपीय कम्पनियों की चीनी खरीद और यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले जर्मनी जैसे मुल्क में औद्योगिक जासूसी कराए जाने को लेकर सवाल खड़े हुए हैं.
जाहिर है कोरोना संकट के बीच अपने बड़े व्यापार साझेदार यूरोप के साथ संवाद और सहयोग मज़बूत करने की कोशिश भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है. खासकर आत्मनिर्भर भारत के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए. ध्यान रहे कि यूरोप भारत के प्रौद्योगिकी क्षेत्र का बड़ा निवेशक है. यूरोपीय संघ क्षेत्र से भारत में 91 अरब डॉलर का निवेश किया गया है.
महत्वपूर्ण है कि यूरोप भारत का उत्पाद क्षेत्र में सबसे बड़ा खरीदार है और दोनों के बीच कारोबार बकाया आंकड़ा 100 अरब डॉलर से अधिक है. इतना ही नहीं सेवा क्षेत्र में भी भारत और यूरोपीय संघ के बीच व्यापार का आंकड़ा 40 अरब डॉलर से अधिक है. दोनों ही क्षेत्रों में भारत का निर्यात अधिक है.
सूत्रों के मुताबिक उम्मीद है कि यूरोपीय संघ और भारत के बीच होने वाली इस शीर्ष संवाद के जरिए स्मार्ट सिटी, नवीन ऊर्जा, उच्च तकनीक, औद्योगिक निवेश समेत कई क्षेत्रों में साझेदारी के नए दरवाज़े खोलने पर जोर होगा. साथ ही दोनों पक्षों की कोशिश होगी कि क़ई वर्षों से अटकी मुक्त व्यापार समझौते की कवायद को भी आगे बढाया जा सके.
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