90 से ज्यादा मुल्कों में छाया मेक इन इंडिया, एक ही साल में मिले बंपर ऑर्डर, राजनाथ सिंह ने बताया कितना बढ़ गया डिफेंस प्रोडक्शन?
राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने लिए मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की, जिसकी वजह से हर क्षेत्र में कई सुधार हुए हैं.
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार (25 सितंबर, 2024) को कहा कि भारत का डिफेंस प्रोडक्शन 1.27 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है. उन्होंने कहा कि यह आंकड़ा अब तक का हाईएस्ट है. राजनाथ सिंह ने यह भी बताया कि भारत अब 90 से अधिक अपने मित्र देशों को हथियार और सैन्य साजो सामान निर्यात कर रहा है.
राजनाथ सिंह ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) सरकार के मेक इन इंडिया कार्यक्रम की 10वीं वर्षगांठ पर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल अब भारतीय सरजमीं पर निर्मित हथियारों और साजो सामान का उपयोग कर रहे हैं और देश वैश्विक रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व के तहत सरकार ने देश को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की. उन्होंने कहा, 'तब से 10 साल बाद, रक्षा सहित हर क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं. भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य में उभर रहा है.'
उन्होंने मंत्री ने कहा, 'आज, भारतीय सशस्त्र बल ऐसे हथियारों और साजो सामान का उपयोग कर रहे हैं, जो हमारी अपनी धरती पर निर्मित हैं और हम 90 से अधिक मित्र देशों को रक्षा सामग्रियां भी निर्यात कर रहे हैं.' पिछले कुछ सालों में, सरकार ने घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं. इसका फोकस घरेलू रक्षा विनिर्माण को बढ़ावा देने तथा विशेष रूप से चीन के साथ लगी सीमा पर स्थित क्षेत्रों में सैन्य तैयारियों को मजबूत करने पर रहा है.
भारत का रक्षा निर्यात 2023-24 में पहली बार 21,000 करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया और रक्षा मंत्रालय ने अगले पांच सालों में इसे बढ़ाकर 50,000 करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है. भारत वैश्विक स्तर पर हथियारों के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. अनुमान के अनुसार, भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा 2029 तक पूंजीगत खरीद में लगभग 130 अरब अमरीकी डॉलर खर्च करने का अनुमान है. सरकार आयातित सैन्य साजो सामान पर निर्भरता कम करना चाहती है और उसने घरेलू रक्षा विनिर्माण का सहयोग करने का निर्णय लिया है.
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