India-Afghanistan: भारत ने अफगानिस्तान में मानवीय स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. इसके साथ ही यहां के लोगों की मदद करने के प्रति अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की है. भारत का कहना है कि वह अफगानिस्तान में सामने आ रही मानवीय स्थिति से बहुत चिंतित है. अफगान लोगों की मानवीय जरूरतों के जवाब में और संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई तत्काल अपील के जवाब में भारत ने अफगानिस्तान को मानवीय सहायता के कई शिपमेंट भेजे हैं. 


संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन में काउंसलर मधु सूदन ने यूएनएससी अरिया फॉर्मूला बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि अफगानिस्तान में शांति और स्थिरता की वापसी सुनिश्चित करने में भारत का सीधा हित है. तालिबान के कब्जे से पहले भारत अफगानिस्तान में विकास, पुनर्निर्माण और क्षमता निर्माण के उद्देश्य से 3 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक की प्रतिबद्धता के साथ परियोजनाओं और कार्यक्रमों को लागू कर रहा था. इसके साथ भारत अफगानिस्तान में सुधार और विकास की संभावनाएं तलाशने में लगातार मदद कर रहा था. 


'भारत का उद्देश्य अफगानिस्तान को आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना'


काउंसलर मधु सूदन ने कहा कि अफगानिस्तान में भारत की विकास साझेदारी में सभी 34 प्रांतों में जन-केंद्रित परियोजनाएं शामिल हैं और इसका उद्देश्य देश को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाना है. उन्होंने कहा, "हमने अफगानिस्तान से क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने के लिए एयर फ्रेट कॉरिडोर और चाबहार पोर्ट का भी संचालन किया. हालांकि, राजनीतिक स्थिति में बदलाव के कारण विभिन्न कारणों से हमारी परियोजनाओं की गति धीमी हुई है. 


अफगानिस्तान में बढ़ रहे आतंक पर जताई चिंता


भारतीय राजनयिक ने कहा कि हमेशा की तरह अफगानिस्तान के लिए नई दिल्ली का रुख हमारी ऐतिहासिक मित्रता और अफगानिस्तान के लोगों के साथ हमारे विशेष संबंधों से निर्देशित होगा. इसके साथ ही भारत ने अफगानिस्तान से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद के बारे में भी चिंता व्यक्त की. भारत के साथ ही कई अन्य देशों ने भी काबुल में 'सही अर्थों में समावेशी' सरकार बनाने और अफगानिस्तान की धरती से आतंकवाद खत्म करने का आह्वान किया. 


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