Manvendra Singh Gohil: भारत के पहले गे राजकुमार कहे जाने वाले मानवेंद्र सिंह गोहिल अब अपने जैसे अन्य लोगों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने एक शो में भाग लेते हुए अपनी जिंदगी से जुड़ी कुछ बातों का जिक्र किया. उन्होंने बताया कि उन्हें एक महिला से शादी करने के लिए मजबूर कर दिया गया था.
मानवेंद्र सिंह गोहिल ने बताया, उन्हें एक महिला के साथ शादी के लिए मजबूर किया गया था. इस दौरान उन्हें कई मुसीबतों का सामना करना पड़ा जिसे उन्होंने चुपचाप सहा. हालांकि साल 2013 में उन्होंने एक लड़के से शादी कर ली थी. उन्होंने बताया कि 12 साल की उम्र में उन्हें इस बात की जानकारी हो गई थी कि वो समलैंगि हैं. मानवेंद्र ने बताया कि साल 2006 में उन्होंने दुनिया के सामने इस बात को एक लोकल अखबार के जरिए सामने रखा. ये वो दौर था जब समलैंगिकता को अवैध माना जाता था.
देशव्यापी कांड के तौर पर देखा जाने लगा- मानवेंद्र
मानवेंद्र ने आगे बताया कि, जब वो ये सब कह कर बाहर आए तो पूरा गुजरात उन पर भड़क गया और इसने एक देशव्यापी कांड के तौर पर देखने लगा. हाल ही में एक साक्षात्कार में इनसाइडर से बात करते हुए राजकुमार ने बताया कि उनके माता-पिता ने जनता की तरह ही व्यवहार किया. राजपीपला के महाराजा और महारानी ने सार्वजनिक रूप से उन्हें अपने बेटे के रूप में अस्वीकार कर दिया और समाचार पत्रों में विज्ञापन निकालकर घोषणा की कि उन्हें "समाज के लिए अनुपयुक्त" गतिविधियों में शामिल होने के कारण वारिस के रूप में काट दिया गया.
आत्महत्या करने का आता था ख्याल- मानवेंद्र
मानवेंद्र ने आगे बताया कि उनके पुतले जलाए गए. उनका विरोध किया गया, लोग सड़कों पर उतर आए और नारे लगाते हुए कहा कि मैं शाही परिवार और भारती की संस्कृति के लिए शर्म और अपमान हूं. मुझे जान से मारने की धमकियां दी गई थी. एक दौर ये भी आया जब वो पूरी तरह हताश हो गए और आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगे.
मुझे मेरे जैस लोगों के लिए लड़ते रहना है- मानवेंद्र
वहीं, अब अनैतिक व्यवहार पर रोक लगाने की मांग में अब राजकुमार मानवेंद्र सबसे आगे हैं. उन्होंने कहा, हम सिर्फ इसलिए नहीं रुक सकते क्योंकि देश ने धारा 377 को निरस्त कर दिया है. उन्होंने आगे कहा कि, “अब हमें समलैंगिक विवाह, विरासत के अधिकार, गोद लेने के अधिकार जैसे मुद्दों के लिए लड़ना होगा. यह कभी न खत्म होने वाला चक्र है. मुझे लड़ते रहना है." बता दें, प्रिंस मानवेंद्र ने दो दशक पहले गुजरात में LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों में सुधार लाने के उद्देश्य से एक धर्मार्थ संगठन लक्ष्य ट्रस्ट की स्थापना की थी.
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