Vikram-S Launching: अंतरिक्ष में भारत ने नए युग की शुरुआत कर दी है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को देश का पहला प्राइवेट रॉकेट ‘विक्रम-एस’ को लॉन्च कर दिया. इस रॉकेट (विक्रम-एस) को हैदराबाद में स्थित स्काईरूट एयरोस्पेस (Skyroot Aerospace) कंपनी ने बनाया है. ‘विक्रम-एस’ की लॉन्चिंग श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से हुई. इस मिशन को ‘प्रारंभ’ नाम दिया गया. ये देश की स्पेस इंडस्ट्री में प्राइवेट सेक्टर की एंट्री को नई ऊंचाइयां देगा.
रॉकेट का नाम 'विक्रम-एस' भारत के महान वैज्ञानिक और इसरो के संस्थापक डॉ. विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया है. भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्द्धन और प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के अध्यक्ष पवन गोयनका ने कहा कि यह भारत में निजी क्षेत्र के लिए बड़ी छलांग है. उन्होंने स्काईरूट को रॉकेट के प्रक्षेपण के लिए अधिकृत की जाने वाली पहली भारतीय कंपनी बनने पर बधाई दी है. केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत इसरो के दिशानिर्देशों के तहत श्रीहरिकोटा से ‘स्काईरूट एयरोस्पेस’ के विकसित पहले निजी रॉकेट का प्रक्षेपण करके इतिहास रचने का काम कर रहा है.
भारत के लिए बड़ा अहम पल
विक्रम-एस सब ऑर्बिटल में उड़ान भर दी है. अब भारत का नाम उन देशों के साथ जुड़ गया है, जो प्राइवेट कंपनियों के रॉकेट को स्पेस में भेजते हैं. विक्रम-एस सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसके लॉन्चिंग के बाद 81 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचेगा. इस मिशन में दो घरेलू और एक विदेशी ग्राहक के तीन पेलोड को ले जाया जा रह है. विक्रम-एस उप-कक्षीय उड़ान में चेन्नई के स्टार्ट-अप स्पेस किड्ज, आंध्र प्रदेश के स्टार्ट-अप एन-स्पेस टेक और आर्मेनियाई स्टार्ट-अप बाजूमक्यू स्पेस रिसर्च लैब के तीन पेलोड ले जा रहा है.
रॉकेट की होगी सस्ती लॉन्चिंग
रॉकेट को कम बजट में लॉन्च करने की योजना बनाई गई है. सस्ती लॉन्चिंग के लिए इसके ईंधन में बदलाव किया गया है. इस लॉन्चिंग में आम ईंधन के बजाय LNG यानी लिक्विड नेचुरल गैस और लिक्विड ऑक्सीजन (LoX) का इस्तेमाल किया जाएगा. ये ईंधन किफायती होने के साथ साथ प्रदूषण मुक्त भी है. रॉकेट की सफल लॉन्चिंग को लेकर स्काईरूट एयरोस्पेस कंपनी काफी गंभीर है. कंपनी ने लॉन्चिंग से पहले कई तरह से रॉकेट की टेस्टिंग की है. 25 नवंबर 2021 को नागपुर स्थित सोलर इंडस्ट्री लि. की टेस्ट फैसिलिटी में अपने पहले थ्रीडी प्रिंटेड क्रायोजेनिक इंजन का सफल टेस्ट किया गया था.
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