Aditya-L1 Mission: देश के पहले सौर मिशन आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान ने सूर्य-पृथ्वी के एल1 बिंदु के चारों ओर पहली हेलो कक्षा की अपनी परिक्रमा पूरी कर ली. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बयान जारी करके इस बात की जानकारी दी है. 


आदित्य-एल1 मिशन लैग्रेंजियन बिंदु एल1 पर स्थित एक भारतीय सौर ऑब्सर्वेटरी है. दो सितंबर 2023 को इसे पृथ्वी से अंतरिक्ष  में भेजा गया था. इसी साल चार जनवरी 2024 को इसे अपने लक्षित हेलो कक्षा में स्थापित किया गया. इसरो ने जानकरी देते हुए बताया कि आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान को L1 बिंदु के चारो ओर एक चक्कर पूरा करने में 178 दिन लगे हैं. 


किया गया था फेर बदल 


इसरो ने बताया कि कक्षा में स्थिर रखने के लिए मंगलवार को फेरबदल भी किया गया था ताकि यान की मूवमेंट को दूसरी हेलो कक्षा में बिना किसी दिक्कत के सुनिश्चित किया जा सके.


इसरो ने अपने बयान में कही ये बात 


इसको लेकर इसरो ने बताया कि हेलो ऑर्बिट में अपनी यात्रा के दौरान आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान कई विरोधक बलों के संपर्क में आएगा, जिस वजह से वो लक्षित कक्षा से बाहर चला जाएगा. इसी वजह से इस ऑर्बिट में आदित्य-एल1 को रखने के लिए 22 फरवरी और सात जून को दो बार उसके मार्ग में बदलाव किया गया था. ऐसे में यही सुनिश्चित किया गया कि यान एल1 के चारों ओर दूसरे हेलो कक्षा में अपने सफर को जारी रख सके. 


 इसरो ने आगे जानकरी देते हुए कहा, आज के बदलाव के बाद आदित्य-एल1 मिशन के लिए यूआरएससी-इसरो में विकसित अत्याधुनिक उड़ान गतिशीलता सॉफ्टवेयर पूरी तरह से स्थापित कर दिया गया है. 


भारत का पहला सूर्य मिशन है आदित्य-एल1


सूर्य की निगरानी के लिए यह भारत का पहला मिशन है. इस मिशन का मकसद यह समझने के लिए है कि जब सूर्य एक्टिव होता है तो क्या होता है. इस मिशन के लिए  400 करोड़ रुपये खर्च हुए हैं. इसरो ने पिछले साल 2 सितंबर को इसे लॉन्च किया था.