Twitter Blue Tick: ब्लू टिक के लिए भुगतान से लोग नाखुश, भारत की 'फर्स्ट' ट्विटर यूजर ने कहा- 16 सालों में नहीं किया तो अब क्यों पैसा दूं
Twitter Blue Tick: नैना रेढू ने करीब 16 साल पहले भारत में सबसे पहले ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाया था. आज वह इंटरनेट की मदद से लाखों रुपये कमा रही हैं.
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Twitter Blue Tick: टेस्ला के सीईओ एलन मस्क के हाथों में जब से ट्विटर की कमान आई है वह लगातार बदलाव कर रहे हैं. सबसे पहले उन्होंने ट्विटर के CEO पराग अग्रवाल, CFO नेड सेगल समेत कई अधिकारियों को कंपनी से निकाला. इसके बाद कई कर्माचारियों को भी नौकरी से निकालने का काम किया. साथ ही उन्होंने ट्विटर पर दिए जाने वाले ब्लू टिक के लिए भी 8 डॉलर यानी करीब 650 रुपये चुकाने के लिए कहा. उनके इस फैसले से कई लोग नाखुश हैं. इसे लेकर अब भारत की "फर्स्ट" ट्विटर यूजर नैना रेढू (Naina Redhu) ने भी अपनी बात सामने रखी है.
नैना रेढू ने करीब 16 साल से पहले सबसे पहले ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाया था. आज वह इंटरनेट की मदद से लाखों रुपये कमा रही हैं. नैना गेस्ट एसपीरियंस मैंनेजिंग (Naina Redhu Guest Experiences Manager) का काम भी करती हैं. वह फोटोग्राफर और ब्लॉगर भी हैं. जब उनके पिता आर्मी में थे उस वक्त वह देश के अलग-अलग हिस्सों में रही हैं. नैना ने तब ट्विटर में अकाउंट बना लिया था जब इसकी स्पेलिंग TWTTR हुआ करती थी. उन्होंने 13 जुलाई 2006 को ट्विटर के लॉन्च होते ही इसे जॉइन किया था.
एलन मस्क के फैसलों पर नैना की राय
नैना एक एक्टिव ट्विटर यूजर हैं और उनकी प्रोफाइल पर ब्लू टिक भी है, जो इन दिनों चर्चा का प्रमुख विषय बना हुआ है क्योंकि ट्विटर के नए मालिक मस्क का कहना है कि अब इसके लिए लोगों को भुगतान करना होगा. यह खुलासा करते हुए कि क्या वह भुगतान करने वालों में से एक होंगी? इस पर नैना ने कहा, "फिलहाल इस बारे में कोई स्पष्टता नहीं है कि पैसे के लिए क्या शुल्क लिया जा रहा है. क्या ब्लू टिक का अर्थ वही रहेगा जो अभी है या क्या यह बदल जाएगा एक बार जब इस बारे में कुछ स्पष्टता हो जाएगी तभी वह कोई फैसला ले पाएंगी."
नैना ने साफ तौर पर कहा कि अगर इसके लिए उन्होंने पिछले 16 सालों में भुगतान नहीं किया है तो अब क्यों करना चाहिए. भारत पर इसका क्या असर पड़ेगा इसपर भी उन्होंने अपनी बात रखी. नैना ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि इसका कोई असर होगा क्योंकि सामान्य रूप से ब्लू टिक होना कोई जरूरत नहीं है. इसके अलावा, जिन लोगों को इसकी आवश्यकता है और जो खर्च कर सकते हैं वे इसे खरीद लेंगे और आम जनता भी प्रभावित नहीं होगी. हालांकि, उन लोगों पर प्रभाव जरूर पड़ेगा जो स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करते हैं और खर्च नहीं कर सकते.
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