Raisina Dialogue 2025: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत की तटस्थ नीति पर पहले जताई गई अपनी आपत्ति को लेकर अब नई प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने स्वीकार किया कि भारत की नीति को लेकर उनकी पिछली आलोचना गलत साबित हुई और आज के हालात में ये नीति सफल होती नजर आ रही है. उन्होंने कहा 'मैं अभी भी अपने चेहरे पर लगे दाग को मिटा रहा हूं, क्योंकि संसदीय बहस में मैं ही एकमात्र व्यक्ति था जिसने फरवरी 2022 में अंतर्राष्ट्रीय चार्टर और सिद्धांतों के उल्लंघन के आधार पर भारतीय स्थिति की आलोचना की थी.'


रायसीना डायलॉग के दौरान बातचीत में शशि थरूर ने कहा कि जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ तब उन्होंने भारत के रुख की आलोचना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय चार्टर्स और सिद्धांतों का उल्लंघन बताया था, लेकिन अब तीन साल बाद उन्हें महसूस हो रहा है कि भारत की इस नीति ने देश को एक मजबूत कूटनीतिक स्थिति में ला खड़ा किया है.


भारत की रणनीति ने बढ़ाई कूटनीतिक ताकत


शशि थरूर ने कहा 'भारत की नीति ने ये संभव बनाया कि हमारे प्रधानमंत्री दो हफ्तों के अंतर में यूक्रेन के राष्ट्रपति और रूस के राष्ट्रपति दोनों को गले लगा सके और दोनों ही देशों में भारत को स्वीकार किया जाए.' उनके अनुसार ये स्थिति भारत को वैश्विक शांति कायम करने में एक अहम भूमिका निभाने का अवसर प्रदान करती है जो दुनिया के बहुत कम देशों को हासिल है.


पहले की थी भारत की नीति की आलोचना


रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत में शशि थरूर भारत की रूस के प्रति कूटनीतिक तटस्थता और रूस से तेल खरीदने की नीति के बड़े आलोचक थे. उन्होंने इसे नैतिक रूप से गलत बताया था और भारत से यूक्रेन पर हमले की खुलकर निंदा करने की मांग की थी, लेकिन अब जब भारत की इस नीति ने उसे दोनों देशों के साथ दोस्ताना संबंध बनाए रखने में सक्षम बनाया है तो उन्होंने अपनी पिछली आलोचना को लेकर स्वीकार किया कि वे गलत साबित हुए हैं.


उन्होंने ये भी कहा कि भारत का यह रुख उसे वैश्विक शांति प्रक्रिया में एक अहम खिलाड़ी बना सकता है. भारत की स्थिति ऐसी है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभा सकता है.

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