G-20 Presidency: दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक समूह G-20 की अध्यक्षता भारत के पास होगी. दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के तौर पर वैश्विक आर्थिक एजेंडा को आकार और रफ्तार देने की जिम्मेदारी भारत के पास होगी. भारत की अगुवाई में जहां G-20 शिखर बैठक का आयोजन होगा. वहीं 'एक धरती-एक परिवार और एक भविष्य' की थीम के साथ भारत 50 से अधिक शहरों में 200 से ज्यादा बैठकों का आयोजन करेगा.


भारत की G-20 अध्यक्षता को उत्सव और अवसर की तरह आयोजित करने के लिए 1-7 दिसंबर तक देश के 100 ऐतिहासिक धरोहर स्थलों को G-20 लोगो की रौशनी के साथ सजाया जाएगा. साथ ही इसके इर्द-गिर्द विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा. सूत्रों के मुताबिक़ भारत की अध्यक्षता का औपचारिक ऐलान पीएम नरेंद्र मोदी के ट्वीटर हैंडल से किया जाएगा. वहीं इसके साथ G-20 का आधिकारिक ट्विटर हैंडल भी भारत के नियंत्रण में आ जाएगा. ध्यान रहे कि G-20 का कोई स्थाई मुख्यालय नहीं है.


इन शहरों में होगी बैठक 
बीते दिनों इंडोनेशिया के बाली में हुए G-20 शिखर बैठक में प्रतीकात्मक तौर पर इस समूह की अध्यक्षता का प्रतीकात्मक सेशन हैमर (लकड़ी का हथौड़ा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंप दिया गया था. वहीं गुरुवार (1 दिसंबर) से औपचारिक भारत न केवल अध्यक्ष की कुर्सी संभाल लेगा, बल्कि इस जिम्मेदारी के मिलते ही एक हफ्ते के भीतर G-20 देशों के शेरपाओं की पहली बैठक का आयोजन भी भारत की मेजबानी में हो जाएगा. यह बैठक 4-7 दिसंबर को राजस्थान के उदयपुर में आयोजित होगी. अगले दो महीनों के भीतर मुंबई, कोलकाता, पुणे,बेंगलुरु आदि शहरों में सात अहम बैठकों का आयोजन किया जाएगा.


क्या होंगे मुद्दे?
भारत G-20 के लिए अपनी वेबसाइट और लोगो का अनावरण पहले ही कर चुका है. वसुधैव कुटुम्बकम के सूत्र के साथ भारत की अगुवाई में G-20 देश कृषि, शिक्षा, रोजगार, ऊर्जा, स्वास्थ्य, व्यापार, पर्यटन, पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन, विकास तथा भ्रष्टाचार के ख़ात्मे जैसे मुद्दों पर मंथन करेंगे. वहीं साथ ही अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली, इंफ्रास्ट्रक्चर, वित्तीय विषयों पर भी चर्चा करेंगे.


दुनिया के सबसे ताकतवर आर्थिक समूह की अगुवाई और शिखर बैठक का आयोजन भारत के लिए अब तक का सबसे बड़ा कूटनीतिक अवसर है. इसके ज़रिए भारत को आर्थिक संभावनाओं के दरवाजे खोलने और दुनिया के सामने अपनी छवि बदलने का मौका मिलेगा. जी-20 शिखर बैठक पहला ऐसा मौका होगा, जब भारत एक साथ अमेरिका, चीन, रूस, ब्रिटेन, फ़्रांस, जर्मनी, जापान समेत बड़े और ताकतवर मुल्कों के प्रमुखों की एक साथ मेजबानी कर सकेगा.


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