नई दिल्ली: भारत में बीते सात महीने में लगभग 33 हजार टन कोविड-19 जैव चिकित्सा कचरा पैदा हुआ है. इस दौरान महाराष्ट्र में सबसे अधिक 3,587 टन कचरा पैदा हुआ. केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है. पूरे देश में अक्टूबर में एक महीने में सबसे अधिक 5,500 टन कोविड-19 कचरा पैदा हुआ.


अबतक पैदा हुआ 32,994 टन कोविड कचरा


राज्यों के प्रदूषण बोर्ड से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जून 2020 से सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 से संबंधित 32,994 टन जैव चिकित्सा कचरा पैदा हुआ है, जिसका 198 सामान्य जैव चिकित्सा कचरा निपटान केन्द्र (सीबीडब्ल्यूटीएफ) द्वारा एकत्रिकरण, शोधन और निपटान किया जा रहा है.


कोविड-19 जैव चिकित्सा कचरे में पीपीई किट, मास्क, जूतों के कवर, दस्ताने, मानव ऊतक, रक्त से दूषित चीजें इत्यादि शामिल हैं. डाटा के अनुसार महाराष्ट्र में जून के बाद से सात महीने में 5,367 टन कोविड-19 कचरा पैदा हुआ. केरल में (3,300 टन) , गुजरात (3,086 टन) , तमिलनाडु (2,806 टन) , उत्तर प्रदेश (2,502 टन) , दिल्ली (2,471 टन) , पश्चिम बंगाल (2,095 टन) और कर्नाटक में (2,026 टन) कचरा निकला.


ऐप के जरिये लगाया जाता है कचरे का पता 


सीपीसीबी ने मई में कोरोना वायरस से संबंधित जैव चिकित्सा कचरे की निगरानी करने और इलेक्ट्रॉनिक मैनिफ़ेस्ट प्रणाली के माध्यम से डाटा संकलित करने के लिए 'कोविड19बीडब्ल्यूएम' मोबाइल एप्लिकेशन विकसित की थी. इस ऐप के जरिये कोविड-19 कचरे का पता लगाकर उसे एकत्रित करके निपटान का काम किया जाता है.


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