नई दिल्ली: अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम के सहयोगी फारुक टकला की गिरफ्तारी के बाद विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह दुबई में अपने मिशन से यह पता करने में जुटा है कि टकला ने कैसे पासपोर्ट हासिल कर लिया और उसका नवीकरण भी करा लिया. संयुक्त अरब अमीरात से प्रत्यर्पित कर लाये जाने के बाद सीबीआई ने टकला को गिरफ्तार किया था.


विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा,"हम दुबई में अपने मिशन से पता लगा रहे हैं. यह बिल्कुल ही स्पष्ट है कि वह भगोड़ा है जो भारत सरकार के लिए वांछित है. हमने संयुक्त अरब अमीरात की सरकार के साथ यह सूचना साझा की थी और हम उसके साथ इस मामले पर आगे बढ़ रहे थे. संयुक्त अरब अमीरात के प्रशासन ने उसे प्रत्यर्पित कर दिया."


जब कुमार से इस खबर के बारे में पूछा गया कि किसी केंद्रीय मंत्री के दखल के चलते उसे पासपोर्ट मिला तब उन्होंने कहा कि वह अटकलबाजी नहीं करना चाहेंगे. उन्होंने कहा कि पासपोर्ट जारी करने और उसके नवीकरण की कुछ प्रक्रिया है. मंत्रालय इसका ब्योरा जुटाएगा कि कब टकला ने आवेदन दिया था और कब उसका पासपोर्ट नवीनीकृत किया गया. फारुक टकला के नाम से चर्चित मोहम्मद फारुक दुबई से यहां पहुंचा था और जब वह इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के आव्रजन काउंटर पर था तब उसे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया.



रेड कॉर्नर नोटिस जारी था
इंटरपोल ने 1995 में टकला के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. जानकारी के मुताबिक, फारूक बम धमाके के वक्त मुंबई में नहीं था लोकिन धमाकों से पहले दुबई में धमाकों की साजिश रचने के लिए जो मीटिंग हुई थी उसमें वो भी शामिल था. सीबीआई के अनुसार इस मीटिंग के बाद पाकिस्तान ट्रेनिंग के लिए भेजे गए बम कांड के गुनाहगारों के रहने, खाने से लेकर आने-जाने का सारा इंतजाम फारुक ने ही किया था.


दाऊद का दाहिना हाथ
फारूक को दाऊद का दाहिना हाथ माना जाता है. वो पिछले 25 सालों से दुबई और दूसरे देशों में दाऊद का काम संभाल रहा था और वहां बड़े बिजनेसमैन के तौर पर जाना जाता था. बम धमाकों के बाद से फारूक डी गैंग का काम देखता था. फारूक ने ही ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान जा रहे आतंकियों को बिना इमिग्रेशन (पासपोर्ट पर ठप्पा) पाकिस्तान में दाखिल किया और वहां से दुबई भेजा. इसके लिए आईएसआई ने मदद की.