Lok Sabha Elections 2024: जानते हैं हार जाएंगे पर दो-दो हाथ करना जरूरी है- ऐसा बोले चुनावी मैदान में क्यों कूदी इंडिया ग्रीन्स पार्टी?
Lok Sabha elections 2024: देश भर में जहां मुख्यधारा की पार्टियां अलग-अलग मुद्दों पर चुनाव लड़ रही हैं, वहीं इंडिया ग्रीन्स पार्टी पर्यावरण के मुद्दों को लेकर चुनावी दंगल में उतर चुकी है.
India greens Party Suresh Nautiyal: देश भर में लोकसभा चुनाव 2024 की सरगर्मियां तेज हैं. किसान, गरीब, महिलाओं और युवाओं को लेकर बड़े-बड़े दावे तो किए जा रहे हैं लेकिन अनंत ब्रह्मांड में मानव सभ्यता के लिए एकमात्र ठिकाने धरती के पर्यावरण की सुरक्षा चुनाव में कोई मुद्दा नहीं है.
ऐसे समय में भारत में एक ऐसी पार्टी भी है जो पर्यावरण संबंधी मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतर चुकी है. इस पार्टी का नाम "इंडिया ग्रीन्स पार्टी" है, जिसके संस्थापक सुरेश नौटियाल हैं. वह कहते हैं कि पर्यावरण ही भविष्य है इसलिए वह इन मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में उतरेंगे.
कहां-कहां चुनाव लड़ रही इंडिया ग्रीन्स पार्टी?
सुरेश नौटियाल की पार्टी दिल्ली, मुंबई, पंजाब और छत्तीसगढ़ में कम से कम आधा दर्जन सीटों पर चुनाव लड़ रही है. सुरेश नौटियाल के हवाले से अंग्रेजी अखबार 'हिंदुस्तान टाइम्स' की रिपोर्ट में बताया गया, "मुख्यधारा की पार्टियों की तुलना में हमारे सीमित संसाधनों और सीमित जनाधार को देखते हुए, हम चुनाव परिणाम के बारे में किसी भ्रम में नहीं हैं लेकिन एक शुरुआत हो चुकी है. हम भविष्य की पार्टी हैं."
2019 के लोकसभा चुनाव के बाद तैयार हुई थी पार्टी
सुरेश नौटियाल ने भारत को इकोसिस्टम और राजनीतिक रूप से स्वच्छ और हरित बनाने के लिए नई पार्टी के दृष्टिकोण को साझा किया है. उनके नेतृत्व वाली इंडिया ग्रीन्स पार्टी का गठन जुलाई 2019 में हुआ था. इसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29 ए के तहत चुनाव आयोग के साथ पंजीकृत किया गया था. सुरेश नौटियाल के मुताबिक, भारत जैसे बड़े लोकतंत्र में जहां भारी धनराशि चुनाव में खर्च हो रही है वहां हम भी सीमित संसाधनों के बूते दो-दो हाथ करने को तैयार हैं.
पर्यावरण सुरक्षा को मुद्दा बनाने की वकालत करते हुए वह कहते हैं, "हम ऐसे बिंदु पर पहुंच रहे हैं जहां से वापसी संभव नहीं है. अगर हम जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग और खाद्य सुरक्षा को नजरअंदाज करते हैं, तो हम खुद के लिए सबसे बड़ा जोखिम तैयार कर रहे हैं. अगर समय रहते इस पर चेता नहीं गया तो फिर वक्त को पीछे मोड़ना मुश्किल हो जाएगा और हमारे ( मानव सभ्यता) लिए दूसरी कोई जगह नहीं बचेगी. दूसरे राजनीतिक दल इन मुद्दों पर तो बात ही नहीं करना चाहते हैं, राजनीतिक मुद्दा बनाना तो दूर की बात है.