India-Iran Trade Partner: ईरान ने हाल ही में भारत से चाय और चावल का आयात बंद करने का फैसला किया है. भारत की ओर से ईरान से इस पर स्पष्टीकरण मांगा गया है. माना जा रहा है कि ईरान ने ये कदम बदला लेने की नीयत से उठाया है. दरअसल भारत ने हाल ही में ईरान से आने वाले कुछ फलों पर रोक लगाई थी, अब ईरान ने भारतीय बासमती चावल और भारतीय चाय के आयात को रोक दिया.
भारत के कुल बासमती एक्सपोर्ट में 27 फीसदी हिस्सा ईरान के बाजार का है. 2022 में अप्रैल से सितंबर तक के आंकड़ों को देखें तो भारत ने इस अवधि में ईरान को 4,750 करोड़ रुपये का बासमती एक्सपोर्ट किया. वहीं भारत से चाय एक्सपोर्ट होने वाले कुल हिस्से में ईरान की हिस्सेदारी करीब 11-14 फीसदी है.
सबसे सस्ते दाम में खरीदता है चावल
ईरान से दोस्ती को देखते हुए भारत उसे सबसे सस्ते में चावल बेचता है. यही वजह है कि ईरान एक वर्ष में भारत से लगभग 30-35 मिलियन किलोग्राम चाय और लगभग 1.5 मिलियन किलोग्राम बासमती चावल का आयात करता है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान का इस साल अप्रैल-सितंबर के दौरान राइस इंपोर्ट 641.66 मिलियन डॉलर का रहा है. वहीं जनवरी-सितंबर के बीच चाय का आयात 66.39 मिलियन डॉलर किया.
भारतीय चाय की भारी डिमांड
भारतीय निर्यातकों के अनुसार भारत बड़ी मात्रा में ईरान को उच्च गुणवत्ता वाली ऑर्थोडॉक्स चाय का निर्यात करता रहा है. उनका कहना है कि ईरानी बाजार में भारतीय चाय की भारी मांग है और ईरान को सबसे ज्यादा असम ऑर्थोडॉक्स चाय भेजा जाता है. ईरान ने पिछले साल के मुकाबले अप्रैल से सितंबर के दौरान 7 फीसदी ज्यादा इंपोर्ट किया. यह करीब 515 करोड़ रुपये का था.
भारत से नाराजगी पड़ेगी महंगी
भारत दुनिया में चावल का सबसे बड़ा निर्यातक है. चावल के वैश्विक व्यापार में भारत की 40 फीसदी भागीदारी है. भारत की ओर से ईरान को निर्यात किए जाने वाले सामान में चावल और चाय के अलावा चीनी, ताजे फल, फार्मास्यूटिकल्स, सॉफ्ट ड्रिंक, औद्योगिक मशीनरी और हड्डी रहित मांस शामिल हैं. भारत से ही उसे सबसे सस्ते में चावल मिलता है, अब यदि उसने भारत से चावल नहीं खरीदा तो उसे अन्य देशों से ज्यादा चावल खरीदना पड़ेगा और उसे ज्यादा पैसा चुकाना पड़ेगा.
पीएम मोदी चाहते हैं बेहतर संबंध
ईरान के साथ भारत के काफी पुराने संबंध हैं. दोनों देशों के बीच आधिकारिक रूप से राजनयिक संबंध 15 मार्च 1950 में कायम हुए थे. पीएम मोदी के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं. भारत की तरफ से न सिर्फ वीजा नीति को बदला गया है बल्कि निवेश को भी बढ़ाया गया है. इस साल जून में जब ईरान के विदेश मंत्री आमिर अब्दुल्लायीन भारत आए तो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी. पीएम मोदी से हर एक देश का विदेश मंत्री नहीं मिल पाता, लेकिन ईरान के विदेश मंत्री को उन्होंने इनकार नहीं किया था.