एक्सप्लोरर

भारत को फिक्र, कतर में हुआ करार कहीं कश्मीर के लिए नया कांटा न बने

अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते के तहत अमेरिका की प्राथमिकता है अपने सैनिकों को अफगानिस्तान से वापस बुलाना. अफगानिस्तान के वॉर जोन में अभी 13 हजार अमेरिकी सैनिक मौजूद हैं. डील के तहत अमेरिका करीब साढ़े चार हजार अमेरिकी सैनिकों को वापिस बुलाएगा. जिसके बाद अफगानिस्तान में सिर्फ 8 हजार 6 सौ सैनिक ही रह जाएंगे.

नई दिल्ली: कतर की राजधानी दोहा में अमेरिका और अफगानिस्तान के तालिबान लड़ाकों में हुए शांति समझौते की स्याही भले ही सूख चुकी हो. मगर इस समझौते से अफ़ग़ानिस्तान में अमन लाने की उम्मीदों पर सवाल भी हैं और शंकाएं भी. अमेरिकी राष्ट्रपति की चुनावी मजबूरियों के बीच हुए इस मुहाईदे से करीब दो दशक से चली आ रही दुश्मनी को ढंकने की कोशिश आधी-अधूरी है. अमेरिकी राष्ट्रपति के इस फैसले पर जहां उनके कई पुराने साथी सवाल उठा रहे हैं. वहीं भारत जैसे मित्र देशों के पेशानी पर भी चिंता की लकीरें हैं. खासतौर पर कश्मीर में सुरक्षा हालात को बिगड़ने के पाकिस्तानी मंसूबों के मद्देनजर.

यह रोचक है कि जिस अफ़ग़ान शांति समझौते को नई नज़ीर बनाकर पेश किया जा रहा हो उसके हिज्जों में दोनों पक्षों के बीच अब भी आपसी अविश्वास के तार साफ नजर आते हैं. अमेरिका और तालिबान के बीच हुए समझौते की शीर्षक ही इन मतभेदों की बानगी देता नज़र आता है. कतर में हुए करारनामे में तालिबान ने खुद को अफ़ग़ानिस्तान की इस्लामिक आमीरात बताया है. वहीं समझौते के शीर्षक में यह भी लिखा गया है कि अमेरिका इस आमीरात को मान्यता नहीं देता और उन्हें तालिबान मानता है. महज़ कुछ महीने पहले तक अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन ने भी इस समझौते पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ हुआ समझौता अमेरिकी नागरिकों के लिए अस्वीकार्य खतरा पैदा करता है. तालिबान को वैधता देकर आईएसआईएस, अल-कायदा और अमेरिका का दुश्मनों को गलत सन्देश दिया गया है.

बराक ओबामा प्रशासन में अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहीं सुसन राइस ने भी इस समझौते पर सवाल उठाए हैं. राइस के मुताबिक यह एक ऐसा करार है जिसमें अफ़ग़ानिस्तान सरकार ही बाहर है. इसके माध्यम से आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका ने अपनी लड़ाई को तालिबान के हाथों ठेके पर दे दिया है. साथ ही 5000 तालिबानी की रिहाई को मंजूरी दे दी है वो भी महज़ 7 दिनों के शांतिकाल के बदले.

पाकिस्तान की दखल बढ़ने को लेकर भारत की भी अपनी चिंताएं

ज़ाहिर तौर पर अफगानिस्तान में तालीबान लड़ाकों की रिहाई और तालिबानी दामन पकड़कर पाकिस्तान की दखल बढ़ने को लेकर भारत की भी अपनी चिंताएं हैं. अफ़ग़ानिस्तान में भारत के रणनीतिक हितों, व्यापक विकास परियोजनाओं और बड़े राजनयिक मिशन के चलते भारत की फिक्र का दायरा भी बड़ा है. भारतीय खुफिया एजेंसियों को इस बात की आशंका है कि पाकिस्तान की आईएसआई, अमेरिका के साथ सुलह कराने में मदद की अपनी फीस तालिबान से कश्मीर में जेहादी सहायता के तौर पर वसूल कर सकती है. साथ ही पाक की कोशिश तालिबान की मदद से भारत का प्रभाव अफ़ग़ानिस्तान में घटने पर भी होगा.

 एक बार फिर सक्रिय हुए दोनों बालाकोट कैम्प, जिसे भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया था

बीते दोनों मिले खुफिया रिपोर्ट इस तरफ संकेत भी दे रही हैं. खुफिया सूत्रों की मानें तो पाक ने बीते दोनों बालाकोट के उस कैम्प को एक बार फिर सक्रिय किया है जिसे भारतीय वायुसेना ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद फरवरी 2019 में निशाना बनाया था. सूत्रों के मुताबिक इस कैम्प की कमान अफ़ग़ानिस्तान से आए कमांडर ज़ुबैर को सौंपी गई है जो खैबर पख्तूनख्वा के इलाके में बीते काफी समय से सक्रिय था. इसके अलावा पीओके का आतंकी ठिकानों में भी बीते कुछ महीनों में अफगानी लड़ाकों के संख्या में इजाफा हुआ है. इतना ही नहीं खुफिया एजेंसियों सूत्रों के अनुसार बीते जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद आईएसआई के इशारे पर जैश-ए-मोहम्मद की अगुवाई में एक बैठक पाकिस्तान कस बहावलपुर में हुई जिसकी अगुवाई मसूद अजहर के भाई रऊफ ने की थी.

इस बैठक में कश्मीर में एक बार फिर विदेशी अफ़ग़ान लड़ाकों को भेजने का ख़ाका तैयार किया गया था. तालिबान और जैश-ए-मोहम्मद के रिश्ते क्या हैं इसकी याद दिलाने के लिए बस इतना याद दिलाना काफी होगा कि 1999 में हुए कंधार विमान अपहरण कांड के वक्त काबुल में तालिबानी सरकार का ही राज था. इस विमान अपहरण कांड के बदले आतंकियों ने मसूद अजहर को रिहा करवाया था. वहीं भारत की तरफ से बार बार आग्रह के बावजूद तालिबानी सरकार ने मसूद अजहर को पकड़ने की बजाए सुरक्षित पाकिस्तान जाने का सुरक्षित रास्ता दिया था.

महत्वपूर्ण है कि कश्मीर में बीते चार दशकों के आतंकवाद में पाकिस्तान के बाद अगर किसी अन्य मुल्क से आए विदेशी आतंकवादी मारे गए है तो वो अफ़ग़ानी थे. हालांकि अफ़ग़ानिस्तान में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी सेनाओं के आने के बाद से कश्मीर में अफ़ग़ान आतंकियों के आने का सिलसिला लगभग बन्द हो गया. आंकड़े बताते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद के चरम दौर में अफगान आतंकियों का आने के सिलसिले काफी ऊंचा था.

भारत का सुरक्षा तंत्र कश्मीर में पहले के मुकाबले काफी मजबूत

हालांकि हालात पर नज़र रख रहे सरकारी सूत्रों के मुताबिक 2020 का न तो कश्मीर 90 के दशक जैसा है और न ही अफ़ग़ानिस्तान. भारत का सुरक्षा तंत्र कश्मीर में पहले के मुकाबले काफी मजबूत है. साथ ही अफगानिस्तान में भी तालिबान और पाकिस्तान के लिए पूरी तरह मनमानी कर पाना मुमकिन नहीं है. फिर भी भारत किसी भी स्थिति के लिए तैयार है. गौरतलब है कि जिस वक्त अमेरिका और तालिबान के बीच समझौते की मेज लगाई जा रही थी तो उस वक्त भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला काबुल में अफ़ग़ान सरकार के नुमाईंदों के साथ बैठक कर रहे थे. भारत की चिंताएं लाज़िमी हैं क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान में उसका बहुत बड़ा राजनयिक मिशन है. साथ ही करीब 3 अरब डॉलर की विकास परियोजनाओं में उसका निवेश है. जलालाबाद, काबुल, हेरात में भारतीय दूतावास पर हुए हमलों का इतिहास देखते हुए भारत की फिक्र अपने राजनयिक मिशन को लेकर हैं. वहीं बीते साल एक बिजली परियोजना की साइट पर काम कर रहे मजदूरों के अपहरण के चलते विकास परियोजनाओं के भविष्य की भी चिंताएं हैं.

इस समझौते और तालिबान की नीयत को लेकर खुद अमेरिकी राष्ट्रपति भी पूरी तरफ आश्वस्त नहीं हैं. यही वजह है कि समझौते का स्वागत करने कस साथ ही उन्हें यह चेतावनी भी देना पड़ी कि अमेरिका स्थितियों का आकलन कर फैसला लेगा. अगर तालिबान ने समझौते की शर्तें तोड़ी तो वो अपनी सेनाओं की वापसी का फैसला बदल सकता है. राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अगर कुछ खराब होता है तो हम वापस जाएंगे.मैं लोगों को बता दूं कि हम इतनी तेजी से और इतनी बड़ी संख्या में वापस जाएंगे कि किसी ने देखा न होगा. हालांकि उम्मीद है कि इसकी जरूरत नहीं पड़ेगी. वैसे यह जगजाहिर है कि अमेरिका और तालिबान के बीच हुआ यह शांति समझौता अमेरिकी राष्ट्रपति की दोबारा व्हाइट हाउस पहुंचने की कोशिशों के हिस्सा है. ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में जाने से पहले अमेरिकी फौजियों को अफ़ग़ानिस्तान से बुलाने का जनता से किया वादा पूरा करना चाहते है. ऐसे में अमेरिका तालिबान समझौते से किसी स्थाई शांति की उम्मीद और भी धुंधला जाती है. क्योंकि अमेरिका अफ़ग़ानिस्तान से पूरी तरह अपने पैर नहीं हटाना चाहेगा, खासकर ऐसे में जबकि वहां से उसे चीन, रूस, ईरान और पाकिस्तान पर सीधी निगरानी का मौका मिलता हो.

दिल्ली हिंसा: पूर्व पुलिस कमिश्नर टी आर कक्कड़ बोले- नेताओं की हैसिय़त की परवाह किए बिना होना चाहिए था एक्शन महाराष्ट्र: नहीं मिली घर की चिकन बिरयानी तो कैदी ने पुलिस के साथ की बदसलूकी, वीडियो वायरल
और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

Weather Update: निकाल लीजिए रजाई! कश्मीर में बर्फबारी से बढ़ेगी उत्तर भारत में सर्दी, जानें कब से बढ़ेगी ठंड
निकाल लीजिए रजाई! कश्मीर में बर्फबारी से बढ़ेगी उत्तर भारत में सर्दी, जानें कब से बढ़ेगी ठंड
मुस्लिम पक्ष की अपील शिमला कोर्ट से खारिज, तोड़ी जाएंगी संजौली मस्जिद की 3 मंजिलें
मुस्लिम पक्ष की अपील शिमला कोर्ट से खारिज, तोड़ी जाएंगी संजौली मस्जिद की 3 मंजिलें
'बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है...' जब सैफ अली खान ने कहा था तलाक लेते रहना नहीं कर सकता अफोर्ड
जब सैफ अली खान ने कहा था तलाक लेते रहना नहीं कर सकता अफोर्ड
IPL 2025 में इन 3 टीमों का बल्लेबाजी विभाग है सबसे मजबूत, किसी भी बॉलिंग अटैक की उड़ा सकते हैं धज्जियां
IPL 2025 में इन 3 टीमों का बल्लेबाजी विभाग है सबसे मजबूत, किसी भी बॉलिंग अटैक की उड़ा सकते हैं धज्जियां
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Top News:इस घंटे की बड़ी खबरें फटाफट अंदाज में | Maharashtra New CM| Sambhal Violence| Eknath ShindeBollywood News: पिता को याद कर भावुक हुई सामंथा, फैंस के बीच शेयर किया इमोशनल पोस्ट | KFHYeh Rishta Kya Kehlata Hai: Abhira का हुआ रो-रोकर बुरा हाल, Armaan बताएगा Ruhi के बच्चे की सच्चाई?Breaking News : Delhi में कानून व्यवस्था को लेकर AAP सांसद Sanjay Singh का बड़ा हमला

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
Weather Update: निकाल लीजिए रजाई! कश्मीर में बर्फबारी से बढ़ेगी उत्तर भारत में सर्दी, जानें कब से बढ़ेगी ठंड
निकाल लीजिए रजाई! कश्मीर में बर्फबारी से बढ़ेगी उत्तर भारत में सर्दी, जानें कब से बढ़ेगी ठंड
मुस्लिम पक्ष की अपील शिमला कोर्ट से खारिज, तोड़ी जाएंगी संजौली मस्जिद की 3 मंजिलें
मुस्लिम पक्ष की अपील शिमला कोर्ट से खारिज, तोड़ी जाएंगी संजौली मस्जिद की 3 मंजिलें
'बहुत सारे पैसों की जरूरत होती है...' जब सैफ अली खान ने कहा था तलाक लेते रहना नहीं कर सकता अफोर्ड
जब सैफ अली खान ने कहा था तलाक लेते रहना नहीं कर सकता अफोर्ड
IPL 2025 में इन 3 टीमों का बल्लेबाजी विभाग है सबसे मजबूत, किसी भी बॉलिंग अटैक की उड़ा सकते हैं धज्जियां
IPL 2025 में इन 3 टीमों का बल्लेबाजी विभाग है सबसे मजबूत, किसी भी बॉलिंग अटैक की उड़ा सकते हैं धज्जियां
50 साल की मेहनत के बाद अस्थमा का मिला इलाज, साइंटिस्ट को मिली बड़ी सफलता
50 साल की मेहनत के बाद अस्थमा का मिला इलाज, साइंटिस्ट को मिली बड़ी सफलता
चंद्रचूड़ से क्यों खफा हैं मुस्लिम संगठन? जानें पूर्व CJI का वो फैसला, जिसने खोल दिया मस्जिदों के सर्वे का रास्ता
चंद्रचूड़ से क्यों खफा हैं मुस्लिम संगठन? जानें पूर्व CJI का वो फैसला, जिसने खोल दिया मस्जिदों के सर्वे का रास्ता
Free PAN 2.0: मुफ्त में ईमेल आईडी पर आ जाएगा पैन 2.0, जानें इसका स्टेप-बाई-स्टेप प्रोसेस
मुफ्त में ईमेल आईडी पर आ जाएगा पैन 2.0, जानें इसका स्टेप-बाई-स्टेप प्रोसेस
मुस्लिम की सिफारिश नहीं करने वाले Video पर BJP विधायक ने दी सफाई, कहा- 'मना नहीं किया'
मुस्लिम की सिफारिश नहीं करने वाले Video पर BJP विधायक ने दी सफाई, कहा- 'मना नहीं किया'
Embed widget