पूरी दुनिया के लिए महामारी बन चुका कोरोना अब भी लाइलाज है. फिर भी डॉक्टर कोरोना पॉजिटिव मरीजों का इलाज करने की हर संभव कोशिश कर रहे हैं. और इस कोशिश में डॉक्टरों के लिए वरदान बन रहा है पीपीई यानि कि पर्सनल प्रोटेक्शन इक्वीपमेंट, जो डॉक्टरों को कोरोना के संक्रमण से बचा रहा है. दुनिया के हर देश इस पीपीई की ज़रूरत है और भारत भी इससे अछूता नहीं है. हर रोज यहां पर पीपीई की किल्लत होती जा रही है. डॉक्टर सोशल मीडिया पर वीडियो बनाकर केंद्र और राज्य सरकारों से पीपीई की डिमांड कर रहे हैं, लेकिन वो पूरी नहीं हो पा रही है. एक अनुमान के मुताबिक भारत को फिलहाल करीब 1.5 करोड़ पीपीई की ज़रूरत है, जिसे बाहर से आयात करना है. नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में उद्योगपतियों, अंतराष्ट्रीय संगठनों और एनजीओ के साथ बैठक हुई थी, जिसमें कहा गया था कि भारत को अगले दो महीने के अंदर करीब 15 करोड़ पीपीई और करीब 16 लाख रैपिड टेस्टिंग किट की ज़रूरत पड़ेगी.
भारत की इस ज़रूरत को फिलहाल सिर्फ एक ही देश पूरा कर सकता है और वो है चीन. वही चीन, जहां से कोरोना का वायरस निकला है और अब वही चीन इस कोरोना की जांच करने और डॉक्टरों को इलाज के दौरान कोरोना संक्रमण से बचाने वाले इक्विपमेंट भी बनाकर दुनिया को बेच रहा है. भारत सरकार की ओर से चीन से 1.5 करोड़ पीपीई मंगवाने का ऑर्डर दे दिया गया है. इसमें ग्लव्स, मास्क्स और गॉगल्स शामिल हैं. इसके अलावा नई दिल्ली ने चीन से कोरोना की जांच करने वाली रैपिड टेस्टिंग किट की 15 लाख यूनिट का भी ऑर्डर दिया है. अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक चीन में भारत के राजदूत विक्रम मिस्री ने 14 अप्रैल को ऑनलाइन ब्रिफींग के दौरान ये जानकारी दी है कि भारत पीपीई और रैपिड टेस्टिंग किट चीन से खरीद रहा है.
हालांकि भारत सरकार की ओर से चीन से इन सामानों का ऑर्डर उस वक्त में दिया गया है, जब चीन ऐसे सामानों की खराब गुणवत्ता के आरोप झेल रहा है. पाकिस्तान से लेकर यूरोप के कई देश चीन पर खराब सामान भेजने का आरोप लगा चुके हैं. हालांकि इन आरोपों के सामने आने के बाद चीन ने अपने यहां से निर्यात होने वाले 11 तरह के मेडिकल प्रोडक्ट्स की क्वॉलिटी का चेकअप बढ़ा दिया है. ऐसे प्रोडक्ट्स में मास्क, पीपीई, ग्लव्स, गॉगल्स औऱ वेंटिलेटर्स तक शामिल हैं. चीन में भारतीय दूतावास के मुताबिक चीन अब तक भारत को करीब एक लाख 70,000 पीपीई दान कर चुका है और करीब पांच लाख टेस्टिंग किट भी भारत में पहुंच चुकी हैं. वहीं करीब 10 लाख और रैपिड टेस्टिंग किट चीन में बननी शुरू हो गई हैं और जल्दी ही वो भारत पहुंच जाएंगी.
इससे पहले जब चीन में कोरोना की स्थितियां विस्फोटक थीं और उसका कहर भारत में शुरू नहीं हुआ था, तो भारत की ओर से करीब 15 टन का मेडिकल असिस्टेंस चीन को दिया गया था. अब जब भारत में स्थितियां खराब हो रही हैं तो चीन मदद के लिए आगे आया है. इससे साफ है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों की कितनी अहमियत है. हम और आप भले ही होली-दिवाली चीनी सामान के बहिष्कार की बात करें, फेसबुक और सोशल मीडिया पर चाइनीज सामान न खरीदने की अपील करें, लेकिन हकीकत ये है कि अब भी भारत की चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा है कि कोरोना काल में भी भारत को मदद चाहिए तो चीन के अलावा दूसरा कोई मददगार नहीं दिख रहा है.