सैन्य ताकत बढ़ा रहा भारत, अब लड़ाकू विमान तेजस के नए वर्जन की तैयारी
देश के फाइटर जेट्स के डिजाइन तैयार करने वाली सरकारी कंपनी, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (आडा) ने बेंगलुरू के येलहंका एयर स्टेशन में चल रहे तीन दिवसीय एयरो-इंडिया शो (3-5 फरवरी) में इस मार्क-2 वर्जन का मॉडल पेश किया है.
नई दिल्ली: एलसीए-तेजस मार्क-1ए के बाद भारत ने एलसीए-मार्क-2 वर्जन की तैयारी भी कर ली है. ये मार्क-2 मार्क-1ए से भारी होगा और ज्यादा मिसाइलों से लैस होगा. यहां तक की इसकी एंडुरेंस भी ज्यादा है यानी ज्यादा दूरी तक उड़ान भर सकता है. एयरोइंडिया शो के दौरान भारत ने एलसीए-मार्क-2 वर्जन का मॉडल और डिजाइन भी दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है.
देश के फाइटर जेट्स के डिजाइन तैयार करने वाली सरकारी कंपनी, एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (आडा) ने बेंगलुरू के येलहंका एयर स्टेशन में चल रहे तीन दिवसीय एयरो-इंडिया शो (3-5 फरवरी) में इस मार्क-2 वर्जन का मॉडल पेश किया है. आडा का दावा है कि वर्ष 2023 तक मार्क-2 बनकर तैयार हो जाएगा और 2025 तक इसका बड़े स्तर पर उत्पादन शुरू हो जाएगा.
ज्यादा हेवी
एलसीए मार्क-2 फाइटर जेट के डिजाइन को तैयार करने वाले आडा के सांइटिस्ट राजेश ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि ये लड़ाकू विमान मार्क-1-ए से ज्यादा हेवी है. इसलिए, इसे मीडियम-वेट फाइटर जेट कैटेगरी में रखा जा सकता है. इसका वजन करीब साढ़े 17 हजार किलो है और इसकी पेयलोड क्षमता साढ़े 6 हजार किलो है. हेवी होने के कारण इसमें बड़े फ्यूल टैंक लगाए जा सकते हैं. यहां तक की ज्यादा मिसाइल और वैपन इसमें इंटीग्रेट किए जा सकते हैं. मार्क-1ए में जहां कुल वैपन-पोड्स हैं, मार्क-2 में 11 पोड्स हैं. इसके मायने ये हैं कि मार्क-2 में आठ एयर टू एयर मिसाइल लगाई जा सकती है, जबकि मार्क-1ए में चार ही लगाई जा सकती हैं.
एयरोइंडिया के दौरान ही हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के सीएमडी आर. माधवन ने हालांकि साफ किया कि मार्क-2 को वायुसेना के एमएमआरसीए प्रोजेक्ट से अलग है. मीडियम मल्टी रोल कॉम्बेट एयरक्राफ्ट यानि एमएमसीआरए प्रोजेक्ट के लिए वायुसेना को 114 लड़ाकू विमानों की जरूरत है और उसके लिए दुनियाभर की बड़ी कंपनियां अपने फाइटर जेट्स भारत को देने के लिए उत्सुक हैं. इनमें फ्रांस का राफेल भी शामिल है.
आर माधवन के मुताबिक एयरोशो के पहले दिन वायुसेना के लिए 83 एलसीए मार्क-1ए फाइटर जेट्स का जो सौदा किया गया है उस करार की कुल कीमत भले ही 48 हजार करोड़ है, लेकिन एक फाइटर जेट की कीमत मात्र 309 करोड़ है (ट्रैनर की 280 करोड है). सौदे की कीमत में फाइटर जेट्स के साथ साथ टैक्स, स्पेयर पार्ट्स, ट्रैनिंग, और मैन्युफैक्चरिंग लाइन भी मौजूद है.
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